लाइट जलाकर सोने के होते है कई नुकसान,, हल्की रोशनी भी दे सकती दिल की बीमारियों को दावत
त को लाइट जलाकर सोने से शरीर को कई तरह से नुकसान होते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि रात में लाइट जलाकर सोने से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है। यानी पैंक्रियाज में इंसुलिन बनता तो है लेकिन वह असरदार नहीं हो पाता है। इसलिए टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी होती है। वहीं रात में लाइट जलाकर सोने से हार्ट संबंधी परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। अध्ययन में कहा गया कि अधिकांश लोग रात में टीवी लेपटॉप मोबाइल या अन्य गैजेट के बिना नहीं सोते। लेकिन रात में सोते समय हल्की कृत्रिम रोशनी भी कार्डियोवैस्कुलर और मेटाबोलिक हेल्थ पर विपरीत असर डालती है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन के प्रमुख लेखक और अमेरिका के नोर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर सर्काडियन एंड स्लीप मेडिसीन के प्रोफेसर डॉ फिलिस जी ने कहा “अध्ययन के परिणाम से मैं खुद चकित रह गया। अध्ययन के आधार मैं कहना चाहूंगा कि कृत्रिम रोशनी की कम मात्रा भी आंखों से ब्रेन में पहुंचकर बुरा परिणाम लाती है।” जी ने बताया कि रात में कृत्रिम लाइट कई तरीके से हमारे मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है। यह रोशनी सबसे पहले हमारी नींद को प्रभावित करती है।
अध्ययन में पाया गया कि लाइट ऑन कर सोने वाले लोगों में नींद वाले हार्मोन मेलाटोनिन भी गड़बड़ा जाता है। मेलाटोनिन के लेवल में कमी से डायबिटीज और कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है। अध्ययन के मुताबिक इन सबका परिणाम यह होगा कि इससे शरीर में क्रोनिक डिजीज का खतरा बढ़ जाएगा। लाइट के प्रभाव से सर्काडियन रिद्म पहले से बिगड़ जाता है। शरीर का मास्टर क्लॉक भी गड़बड़ा जाता है। इससे ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का जोखिम भी बढ़ जाता है। वहीं अध्ययन में यह भी पाया गया कि रात में टीवी ऑन कर या लाइट जलाकर सोने वाली महिलाओं में वजन भी बहुत बढ़ गया।
यह अध्ययन 40 हजार महिलाओं पर किया गया।अध्ययन में यह भी पाया गया कि कृत्रिम रोशनी सिंपेथेटिक आर्म और ऑटोइम्यून नर्वस सिस्टम को सक्रिय कर देती है। ये दोनों चीजें शरीर में बाहरी आक्रमण से लड़ने के जिम्मेदार कारक हैं। यह शरीर को कूल बनाता है ताकि रात में सुकून से नींद आए। लेकिन जब ये चीजें सक्रिय हो जाएंगी तो नींद प्रभावित होगी। इससे कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन पर असर पड़ेगा।