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हेलंग बाईपास के सर्वे को टीम गठित, सप्ताहभर में देगी रिपोर्ट

देहरादून:  चारधाम आल वेदर रोड परियोजना के तहत चमोली जिले के जोशीमठ में हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के सर्वे के लिए बीआरओ ने विशेषज्ञों की टीम गठित कर दी है। सचिव आपदा प्रबंधन डा. रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार टीम में आइआइटी रुड़की, एनटीपीसी व एनएचएआइ के विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं।

यह टीम सप्ताहभर में अपनी रिपोर्ट देगी। वह इस बात का अध्ययन करेगी कि बाईपास के निर्माण से क्षेत्र में कहीं कोई असर तो नहीं पड़ेगा। रिपोर्ट मिलने के बाद धार्मिक व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस बाईपास के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। वर्तमान में इसके निर्माण पर अस्थायी रोक लगाई गई है।

लगभग छह किलोमीटर लंबा हेलंग-मारवाड़ी बाईपास जोशीमठ में मारवाड़ी पुल के पास बदरीनाथ हाईवे से मिलना है। जोशीमठ पर जन दबाव कम करने के उद्देश्य से इसे बनाया जा रहा है। इसके बनने पर बदरीनाथ की दूरी लगभग 22 किलोमीटर कम हो जाएगी।

वर्तमान में बदरीनाथ पहुंचने को हेलंग से जोशीमठ होते हुए मारवाड़ी तक का सफर तय करना पड़ता है। बदरीनाथ ही नहीं, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी को जोड़ने वाला भी यही मुख्य मार्ग है। सेना भी इसी मार्ग का उपयोग करती है

बीती दो जनवरी को जोशीमठ क्षेत्र में भूधंसाव का क्रम तेज होने पर निर्माणाधीन हेलंग-बाईपास के निर्माण पर चमोली जिला प्रशासन ने अस्थायी रोक लगा दी थी। अब जबकि, 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने हैं तो सरकार सभी पहलुओं पर मंथन कर रही है। ऐसे में यह बाईपास महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है।

यद्यपि, बीआरओ पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इसके निर्माण में दो से ढाई साल का वक्त लगेगा। इससे इस यात्राकाल में तो इसका लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन भविष्य में यह महत्वपूर्ण साबित होगा।

सचिव आपदा प्रबंधन डा. सिन्हा ने बताया कि शासन ने बीआरओ से इस बाईपास का सर्वे कराने का आग्रह किया था। बीआरओ ने सूचित किया है कि टीम गठित कर दी गई है, जो एक सप्ताह में सर्वे कर अपनी रिपोर्ट देगी। डा. सिन्हा ने कहा कि यह बाईपास सामरिक दृष्टि से भी अहम है।

जोशीमठ के एक हिस्से में भूधंसाव और भवनों में दरारें पड़ने से स्थानीय लोग हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को लेकर मुखर हैं। वे आशंका जता रहे हैं कि इसके निर्माण से जोशीमठ क्षेत्र में भूधंसाव जैसी दिक्कत बढ़ सकती है। इस सबको देखते हुए शासन द्वारा इस बाईपास का भी जियो टेक्निकल सर्वे अलग से कराया जा रहा है।

बाईपास बनने से ये होंगे फायदे

इस बाईपास का निर्माण होने पर बदरीनाथ धाम अथवा अन्य स्थलों को आने-जाने वाले यात्री जोशीमठ से पहले ही निकल सकेंगे। इसके अलावा सेना के वाहन भी सीधे आ-जा सकेंगे। इससे जोशीमठ पर जनदबाव कम करने में मदद मिलेगी।

एनडीएमए से दो-तीन दिन में मिल सकती है रिपोर्ट

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से दो-तीन दिन के भीतर सरकार को जोशीमठ के संबंध में समग्र रिपोर्ट मिल सकती है। जोशीमठ में जांच कार्य में जुटे आठ संस्थानों ने हाल में अपनी-अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट एनडीएमए को भेजी थी, जिसका अध्ययन शुरू हो गया है। सूत्रों के अनुसार इसके आधार पर समग्र रिपोर्ट भेजी जाएगी। इसमें तात्कालिक, मध्य व दीर्घकालीन उपायों के संबंध में सरकार को सुझाव दिए जा सकते हैं।

जोशीमठ में इस माह की शुरुआत में भूधंसाव और भवनों में दरारें पडऩे का सिलसिला तेज होने के बाद इसके कारणों की जांच का जिम्मा आठ नामी संस्थानों को सौंपा गया है। इनमें सीबीआरआइ, आइआइटी, आइआइआरएस, जीएसआइ, एनजीआरआइ, एनआइएच, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, केंद्रीय भूजल बोर्ड शामिल हैं। सीबीआरआइ को नोडल बनाते हुए उसे सभी संस्थानों से रिपोर्ट प्राप्त कर इसे एनडीएमए को भेजने के लिए अधिकृत किया गया।

सीबीआरआइ के माध्यम से सभी संस्थानों ने अपनी-अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट एनडीएमए को भेजी हैं। ये निर्णय पहले ही हो चुका है कि एनडीएमए इन संस्थानों की रिपोर्ट का अध्ययन कर समग्र रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजेगा।

सूत्रों ने बताया कि एनडीएमए में इन प्रांरभिक रिपोर्ट का अध्ययन शुरू हो गया है। दो-तीन दिन में राज्य सरकार को भेजी जाने वाली समग्र रिपोर्ट में आपदा प्रभावितों के पुनर्वास, घरों के निर्माण को गाइडलाइन, पुनर्निर्माण से संबंधित कार्य समेत अन्य बिंदुओं पर अहम सुझाव दिए जा सकते हैं

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