देहरादून। केंद्र और राज्य सरकार के अति महत्वाकांक्षी नियो मेट्रो प्रोजेक्ट की देहरादून में उपयोगिता और भविष्य को लेकर केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने मंथन शुरू कर दिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगरानी वाले इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह जन उपयोगी और अत्याधुनिक बनाने के लिए इसमें कुछ बड़े बदलावों पर चर्चा की जा रही है।
उत्तराखंड सरकार पहले ही करीब 1600 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज चुकी है। इसमें रबर टायर वाली नियो मेट्रो रेल को देहरादून में एलिवेटेड कॉरिडोर पर चलाने का प्रस्ताव दिया गया है। जबकि, केंद्र सरकार इसे सड़क सरफेस पर चलाने की संभावनाएं भी तलाश रही है।
देरी के पीछे प्रोजेक्ट रिसर्च है वजह
नियो मेट्रो में देरी के पीछे इस प्रोजेक्ट पर दिल्ली में केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय में चल रहा मंथन है। दरअसल, देश में पहली बार इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। नियो मेट्रो को देहरादून के साथ नासिक में भी चलाने की तैयारी है। दोनों शहरों की फाइलें दिल्ली पहुंची हैं। इस प्रोजेक्ट का अध्ययन कर केंद्र सरकार की टीम इसमें और भी नवीनतम तकनीक का प्रयोग करने पर काम कर रही है।
जमीन तैयार, बजट का इंतजार
मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) मेट्रो नियो प्रोजेक्ट के लिए आईएसबीटी के पास बाजार दर अपनी जमीन देने का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में पारित कर चुका है। 14645.48 वर्ग मीटर भूमि बाजार दर पर मुहैया कराई जाएगी। एमडीडीए के अधीक्षण अभियंता हरिश्चंद्र सिंह के अनुसार, इसका प्रस्ताव तैयार है।
इन्फो
40 फीसदी कम आएगा मेट्रो परियोजना से खर्च
70 किमी प्रति घंटा होगी नियो मेट्रो की रफ्तार
225 यात्री कर सकेंगे एक कोच में सफर
12 मीटर लंबा होगा एक कोच
60 मीटर प्रत्येक स्टेशन की लंबाई
20 किमी तक चलेगी बिजली जाने पर
08 मीटर चौड़ा होगा ट्रैक
1.1 मीटर चौड़ा होगा साइड प्लेटफॉर्म
307 पेड़ काटे जाएंगे ट्रैक बनाने के लिए
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नियो मेट्रो प्रोजेक्ट की फाइल केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय भेजी जा चुकी है। मंत्रालय और विशेषज्ञों की टीम प्रोजेक्ट का अध्ययन कर रही है। अनुमति मिलते ही बजट का रास्ता साफ हो जाएगा और प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू कराया जाएगा।
-जितेंद्र त्यागी, एमडी, दून मेट्रो रेल कारपोरेशन