अल्मोड़ा। जिले के पांच विकासखंडों में 133 हेक्टेयर में स्थापित चाय बागानों में अब चाय के साथ जड़ी-बूटी का भी उत्पादन होगा। इन बागानों में साल के नौ महीने चाय तो तीन महीने जड़ी-बूटी का उत्पादन किया जाएगा।
जिले के चौखुटिया, स्याल्दे, ताकुला, हवालबाग, धौलादेवी में टी बोर्ड के सहयोग चाय बागान स्थापित किए गए हैं जिससे क्षेत्र के एक हजार से अधिक किसानों को स्वरोजगार मिला है। इन बागानों में अप्रैल से नवंबर तक ही चाय उत्पादन होता है। चाय की अगली उपज के लिए किसानों को तीन महीने का इंतजार करना पड़ता है।
किसानों की यह समस्या सुलझाने और उनकी आजीविका बढ़ाने के लिए बागानों में चाय के साथ ही जड़ी-बूटी का भी उत्पादन होगा। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान कोसी के सहयोग से किसानों को साल भर रोजगार मिल सकेगा। संस्थान के वैज्ञानिकों ने इन बागानों का निरीक्षण कर जड़ी-बूटी उत्पादन के लिए इन्हें बेहतर बताया है।
इन जूड़ी-बूटियों का होगा उत्पादन
अल्मोड़ा। जिला टी बोर्ड के सहयोग से किसान अपने चाय बागानों में पिपरमिंट, अश्वगंधा, दालचीनी, गुलमेहंदी, नीबू घास, इलायची, तेज पत्ता, आंवले की खेती करेंगे।
ऑफ सीजन में भी किसानों की आय प्रभावित न हो इसके लिए चाय बागानों में जड़ी-बूटी की खेती होगी। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के सहयोग से चाय बागानों में जड़ी-बूटी की खेती की जाएगी। वैज्ञानिकों ने इसके लिए स्थलीय निरीक्षण कर इसे हरी झंडी दी है। अप्रैल से इस पर काम शुरू होगा। – डॉ. भुपेन डैका, विशेषज्ञ, टी-बोर्ड, अल्मोड़ा।