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धामी राज में हासिल हुई एक और बड़ी उपलब्धि, उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को पहला पुरस्कार, टीम लीडर केएस चौहान के नेतृत्व में मिली सफलता

केएस चौहान कर चुके हैं 13 झांकियों का नेतृत्व औऱ 5 राष्ट्रपतियों से मुलाकात

देहरादून। गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर शामिल उत्तराखंड की मानसखंड झांकी को पहला पुरस्कार मिला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है। गणतंत्र दिवस परेड को अभी तक राजपथ के नाम से जाना जाता था, किंतु इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है। नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह। पहली परेड थी, जिसमे उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश मे प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है।

चौहान ने किया 14 में से 13 झांकियों का नेतृत्व

राज्य गठन से अभी तक गणतंत्र दिवस परेड में 14 झांकियो का प्रदर्शन राजपथ पर किया गया है जिसमें 13 झांकियों का नेर्तत्व के एस चौहान ने किया है। झांकी के सेलेक्शन की एक बहुत जटिल प्रक्रिया है। भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति के सम्मुख 7 बार के प्रस्तुतिकरण के बाद अंतिम चयन होता है। प्रति वर्ष औसतन केवल 14-15 प्रदेशों की ही झांकियों का चयन होता है। केएस चौहान टीम लीडर के साथ साथ खुद भी झांकी में कलाकार के रूप में प्रतिभाग करते हैं और उन्हें झांकियों का विशेषज्ञ माना जाता है। उत्तराखंड के टीम लीडर के रूप में उनको वर्ष 2005 से अभी तक 5 राष्ट्रपतियो से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। टीम लीडर/संयुक्त निदेशक, सूचना कलम सिंह चौहान ने कहा माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड राज्य की झांकी को राज्य गठन के उपरांत पहली बार देश मे प्रथम स्थान प्राप्त होना पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए गौरव के क्षण है। मुझे बेहद खुशी है कि मुझे इस झांकी में उत्तराखंड राज्य से टीम लीडर के रूप में अपने कर्तव्यों को निर्वाह करने का अवसर मिला।

झांकी का विषय मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सुझाया था

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा प्रधानमंत्री ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है। प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में सांस्कृतिक नवजागरण में उत्तराखंड सरकार भी काम कर रही है। मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। “मानसखण्ड” मंदिर माला मिशन के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है। भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय/टाइटिल “मानसखंड” मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली जाकर खुद किया था झांकी का निरीक्षण

झांकी निर्माण की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब दिल्ली कैंट में झांकी का निर्माण किया जा रहा था तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झांकी का निरीक्षण करते हुए झांकी को उत्कृष्ट एवं राज्य की संस्कृति के अनुरुप निर्माण के लिये सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक/ नोडल अधिकारी के एस चौहान को निर्देश दिए थे तथा झांकी के कलाकारों से मिलकर उनको शुभकामनाएं भी दी थीस।

दिन रात की जाती है कलाकारों द्वारा मेहनत

झांकी के निर्माण तथा झांकी में सम्मिलित कलाकार दिन रात मेहनत करते है। झांकी निर्माण का कार्य 31 दिसंबर को प्रारंभ किया गया था, जिसको सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक किया जाता है। साथ ही झांकी में सम्मिलित कलाकारों को टीम लीडर के साथ कड़ाके की सर्दी में कर्तव्य पथ रिहर्सल के लिए 4 बजे जाना पड़ता है।

ऐसे होता है झांकी का अंतिम चयन

सितंबर माह में भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों एवं मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं।अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती है।उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतिकरण के किये आमंत्रित करती है। पहले बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है। आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठके डिजाइन निर्माण के सन्दर्भ में होती है जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नही लगते हैं उनको शार्टलिस्ट कर देती है। उसके बाद झांकी का मॉडल बनाया जाता है। मॉडल के बाद थीम सॉंग 50 सेकंड का जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता हो तैयार किया जाता है। इस प्रकार जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती है तब झांकी का अंतिम चयन किया जाता है।

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