Sat. Nov 2nd, 2024

वर्षा जल को भूजल में बदलने की जंगलों की क्षमता हो रही कम

अल्मोड़ा। कोसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत जीआईसी चौरा और हवालबाग में जागरूकता कार्यक्रम हुआ। वक्ताओं ने कहा नदी को जलापूर्ति करने वाले गाड़-गधेरों व अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जो गंभीर है। कहा इसके लिए सभी को गंभीरता से समय रहते कदम उठाने होंगे।

अभियान में शामिल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सूरी के फार्मासिस्ट गजेंद्र कुमार पाठक ने कहा बांज, बुरांश, काफल सहित अन्य चौड़ी पत्ती प्रजाति के जंगलों के दोहन व आग लगने से वर्षा जल को भूजल में बदलने की जंगलों की क्षमता लगातार घट रही है। इससे जल स्त्रोतों में पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है। वैश्विक तापमान में वृद्धि, शीतकालीन वर्षा और बर्फबारी में गिरावट जल स्त्रोतों में पानी कम होने का बड़ा कारण है। कोसी नदी और उसे जला पूर्ति करने वाले गाड़ गधेरों, धारों को संरक्षित करने के लिए जंगलों को विकसित करना बेहद जरूरी है। इसके लिए सभी को अपनी भागीदारी निभानी होगी नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। जीआईसी हवालबाग के प्रधानाचार्य डीडी तिवारी ने कहा कि आने वाले समय में जल संकट से बचने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। सभी को जंगलों को आग से बचाने में वन विभाग का सहयोग करना होगा। प्रवक्ता कपिल नयाल ने कोसी नदी पुनर्जीवन अभियान को जन अभियान बनाने में ग्रामीणों और युवाओं से आगे आने की अपील की। इस मौके पर प्रधानाचार्य कमान सिंह खनायत, अनुज कुमार उपाध्याय, मनीष जोशी, महेंद्र प्रकाश, मीनाक्षी राना, भगवंत लाल, बीडी तिवारी, नवनीत पांडे, संजय पांडे, बीएल यादव, दिनेश पपनै, भगवंत बगड़वाल, कमलेश जोशी, श्रद्धा शर्मा, बिमला नेगी आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *