तो मोहन भागवत संघ प्रमुख की कुर्सी पर अजा-जजा के स्वयंसेवक को बैठाएं
भोपाल(देसराग)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ब्राह्मण विरोधी बयान देकर चौतरफा गिरते जा रहे हैं। डॉ. भागवत का यह बयान सियासी मुद्दा भी बनता जा रहा है। हाल ही में ब्राह्मणों को लेकर उनके द्वारा की गई टिप्पणी पर कांग्रेस ने भी सरसंघचालक से सफाई मांगी है। मुंबई में पिछले दिनों सरसंघचालक ने कहा था कि जाति व्यवस्था ब्राह्मणों की देन है।
उनके इसी बयान पर मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने रामचरितमानस का उल्लेख करते हुए कहा है कि सरसंघचालक मोहन भागवत बताएं कि त्रेता युग में वर्ण व्यवस्था किसने लागू की थी। रामचरितमानस में केवट और रावण जैसे पात्रों का उल्लेख है। रावण को जहां ब्राह्मण बताया गया है वहीं केवट को दलित जाति का बताया गया है। डॉ. सिंह यहीं नहीं रुके, उन्होंने मोहन भागवत से यह भी कहा कि अगर सरसंघचालक दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग के इतने हितैषी हैं तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर इन जातियों के किसी व्यक्ति को संघ के सर्वोच्च पद पर क्यों नहीं बैठा देते हैं?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रमुख मोहन भागवत ऐसा करते हैं तो हैं मैं खुद मोहन भागवत जी का सम्मान और प्रशंसा करूंगा। डॉ सिंह ने कहा कि भागवत जी यह भी बताने का कष्ट करें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उच्च पदों पर बैठे कितने लोग अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
संजय मिश्रा को भाजपा में शामिल करें
भाजपा के समर्थन में एक बयान देकर विवादों में आए पन्ना जिले के कलेक्टर संजय मिश्रा के मामले में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को एक पत्र लिखकर उनसे कहा है कि वह संजय मिश्रा को भाजपा में शामिल करें। नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में कहा है कि पन्ना के अमानगंज में उन्होंने जिस तरह 25 सालों तक भाजपा का साथ देने की बात कही है उससे लगता है कि संजय मिश्रा भाजपा के किसी कार्यकर्ता के मुकाबले बेहतर ढंग से काम कर सकते हैं। इतना ही नहीं पार्टी संजय मिश्रा के लिए पन्ना में एक भाजपा का एक अस्थाई कार्यालय भी खुलवा दें जिससे वह भाजपा के कार्य को आगे बढ़ाने में बेहतर ढंग से अंजाम दे सकें।