ऊधम सिंह नगर: धनपुर विजयपुर के सर्किल रेटों में संशोधन नहीं
रुद्रपुर। गदरपुर तहसील के ग्राम धनपुर विजयपुर के सर्किल रेटों में कोई बदलाव नहीं किया गया है जबकि दो साल पहले गांव के सर्किल रेटों में बड़ी गड़बड़ी उजागर होने के बाद तत्कालीन डीएम ने रेटों को कम करने की संस्तुति शासन को की थी।
वर्ष 2016 में धनपुर विजयपुर और गोविंदपुर गांव एक श्रेणी में होने की वजह से कृषि भूमि के सर्किल रेट 72 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर थे। वर्ष 2017 में गूलरभोज नगर पंचायत गठित होने के बाद गोविंदपुर का कुछ हिस्सा नगर पंचायत के दो वार्डों में शामिल कर लिया गया था। वर्ष 2018 में लागू नए सर्किल रेट में धनपुर विजयपुर में कृषि भूमि की दरें 72 लाख से बढ़ाकर 79 लाख कर दी गई जबकि नगर पंचायत में शामिल गोविंदपुर के आंशिक हिस्सों में कृषि दरें 72 लाख से घटाकर 27 लाख और ग्राम गोविंदपुर में सर्किल रेट 72 लाख से घटाकर 20 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया था।
वर्ष 2020 में धनपुर विजयपुर के सर्किल रेट बढ़ाकर 87 लाख रुपये किए गए जबकि नगर पंचायत में शामिल गोविंदपुर के आंशिक क्षेत्र के सर्किल रेट 30 लाख और ग्रामीण क्षेत्र गोविंदपुर के सर्किल रेट 22 लाख रुपये कर दिए गए। आठ जुलाई 2020 को अमर उजाला ने सर्किल रेटों को लेकर हुए खेल को उजागर किया था और तत्कालीन डीएम ने एसडीएम बाजपुर की अगुवाई में जांच कमेटी गठित की थी। समिति ने गड़बड़ी के लिए वर्ष 2017 में गदरपुर के तत्कालीन तहसीलदार, उपनिबंधक बाजपुर, ईओ नगर पंचायत गूलरभोज, दिनेशपुर, सहायक इंजीनियर पीडब्लूडी, सहायक महानिरीक्षक निबंधन को दोषी पाने के साथ ही गोविंदपुर में सर्किल रेटों में कमी से राजस्व हानि की बात कही थी।
समिति ने धनपुर विजयपुर में कृषि भूमि के सर्किल रेटों में सात लाख और गोविंदपुर के सर्किल रेटों में साढ़े 72 फीसदी का इजाफा करने की संस्तुति की थी। सर्किल रेटों में संशोधन और दोषियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट जिला प्रशासन ने शासन को भेजी थी लेकिन ढाई साल बाद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी। अब नए सर्किल रेटों में धनपुर विजयपुर के सर्किल रेट 87 लाख यथावत हैं जबकि गोविंदपुर और नगर पंचायत के हिस्से गोविंदपुर के कृषि भूमि सर्किल रेट भी 87 लाख किए गए हैं। इस गड़बड़ी के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले ग्रामीण दिनेश कुमार कहते हैं कि नए सर्किल रेट में धनपुर विजयपुर के लिए कोई राहत नहीं है। तत्कालीन जिला प्रशासन की सर्किल रेट कम करने की संस्तुति को भी किनारे कर दिया गया। यही नहीं गड़बड़ी करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तत्कालीन एआईजी स्टांप और तहसीलदार सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं