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उत्तराखंड की वन संपदा का है औषधीय महत्व : पांडे

अल्मोड़ा। उत्तराखंड राज्य विज्ञान, तकनीकी परिषद देहरादून और विज्ञान संकाय सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा की ओर से विश्व चिंतन दिवस पर हमारा संसार हमारा शांतिपूर्ण भविष्य विषय पर हुई गोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. पीएस बिष्ट ने किया। उन्होंने वर्तमान विश्व की आर्थिक, प्राकृतिक और सामरिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए नीति बनाने और उस पर अमल करने के लिए सभी पहलुओं की जानकारी दी।

मुख्य वक्ता गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल के वैज्ञानिक डॉ. आशीष पांडे ने उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों के व्यवसायीकरण पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की वन संपदा का औषधीय महत्व है। वर्तमान में हाइड्रोपोनिक हाइड्रोकेमिकल अध्ययन पर एक नया शोध शुरू हो गया है। डॉ. जगदीश चंद्र ने विश्व चिंतन दिवस की मूल भावना, महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और अकादमिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। संयोजक प्रोफेसर एनडी कांडपाल ने भी विचार रखे। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर जया उप्रेती रहीं। इस मौके पर हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति आर्या, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष धनी आर्या, डॉ. रुबीना अमान, डॉ. प्रियंका सागर, डॉ. राजेश राठौर, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. राजेंद्र जोशी, डॉ. तेजपाल, डॉ. श्वेता आर्य मौजूद थीं। अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जीसी साह और संचालन भुवन चंद्रा ने किया।

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