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जंगल की आग से जले तीन आवासीय मकान, अग्निकांड में सारा सामान हुआ स्वाहा

उत्तरकाशी के पुरोला में ब्लॉक मोरी में किराणू गांव के ओडाधार तोक में लगी जंगल की आग से तीन आवासीय मकान आग की भेंट चढ़ गए। इस अग्निकांड में मकानों में रखा सारा सामान जल गया। गनीमत रही कि अग्निकांड के दौरान मकानों में कोई रह नहीं रहा था। क्षति का आंकलन करने के लिए राजस्व विभाग की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है।

ब्लॉक मोरी के जंगलों में इन दिनों आग लगी हुई है। कुछ दिन पूर्व भी क्षेत्र में ग्रामीणों की ओर से तैयार किया गया एक मिश्रित जंगल आग की भेंट चढ़ गया था। वहीं मंगलवार शाम को बंगाण क्षेत्र के किराणू गांव की ओडधार तोक के जंगलों में आग भड़क गई थी जो यहां सेब के बगीचों तक पहुंच गई। आग से बगीचे में बने मोतीलाल, राजेश कुमार, विनोद कुमार, राजेंद्र व कपिल कुमार के आवासीय भवन आग की चपेट में आ गए। इन भवनों के परिवार सेब की फसल के दौरान रहते हैं।

काश्तकार यहां हर दो-तीन माह में बगीचों की देखभाल के लिए आते हैं। इसलिए यह परिवार अभी गांव से तीन किमी दूर अपने घरों में थे जिससे जान का कोई नुकसान नहीं हुआ। हालांकि भवनों में रखा सारा सामान जल गया। किराणू गांव निवासी सतीश चौहान ने बताया कि सूचना मिलने के बाद जब तक ग्रामीण वहां पहुंचे तब तक वहां सारा सामान जल चुका था। नायब तहसीलदार जिनेंद्र सिंह रावत ने बताया कि राजस्व विभाग की टीम मौके पर भेज दी गई है। क्षति की सही जानकारी राजस्व विभाग की टीम के आने के बाद ही मिलेगी। उन्होंने बताया कि जंगलों में लगी आग से यहां अग्निकांड होने की सूचना है। डीएफओ सुबोध कुमार काला ने बताया कि यह सिविल सोयम का मामला है, रिजर्व फॉरेस्ट में कहीं भी आग नहीं है।

बारिश ने बुझाई आग, पर अन्य जगहों पर आग लगने के हालात

पीपलकोटी क्षेत्र के रामचाड़ा के जंगलों में भड़की आग मंगलवार रात को हुई बारिश के बाद बुझ गई है। आग बुझने पर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। बारिश ने भले ही राहत पहुंचा दी हो लेकिन आने वाले समय में अन्य जगहों पर भी हालात पीपलकोटी जैसे बने हुए हैं। इस बार बारिश और बर्फबारी कम होने से जंगलों में आग लगने की संभावनाएं अधिक हैं। बिरही चट्टान, घिंघराण, रौली, निजमुला घाटी, उर्गम, मंडल, फरस्वाण फाट आदि क्षेत्रों में बारिश कम होने से मौसम में नमी कम है, तापमान भी बढ़ रहा है, जिससे घास सूख गई है।

पोखरी रोड पर चीड़ का जंगल होने के कारण यहां पीरुल सड़क के किनारे जमा है। जिससे यहां जंगलों में आग लगने की आशंका है। वहीं नंदानगर क्षेत्र में चीड़ के अधिक जंगल हैं और खड़ी चट्टानों पर पीरुल एकत्रित होने से आग भड़कने की आशंका है। वहीं केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ इंद्र सिंह नेगी का कहना है कि वनाग्नि की रोकथाम के लिए 32 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं। सभी क्रू स्टेशनों को अलर्ट मोड पर रखा गया है

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