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सड़क से दूर सल्ट के 11 गांव

मौलेखाल (सल्ट)। सड़कें विकास की धुरी हैं लेकिन सल्ट विकासखंड के 11 ऐसे दूरस्थ गांव आज भी सड़क से वंचित हैं। सड़क न होने से गांव तक न वाहन पहुंच सका और न ही एंबुलेंस। ऐसे में आज भी यहां के बीमारों और गर्भवतियों के लिए डोली ही एंबुलेंस है। 1,100 रुपये में रीफिल होने वाला गैस सिलिंडर जब गांवों में 1,500 रुपये में पहुंच रहा है तो ग्रामीणों ने इसे भरवाना ही बंद करना पड़ा है।

सल्ट विकासखंड में मुख्य सड़क से पांच से आठ किमी दूर खदेरा, रगड़गाड़, बरहलिया, जसपुर तल्ला, मयालबाखली, नेवलगांव, कुमियाचौड़, पीठ, ढहला, औंलेत, सिंगरौ गांव के बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं सहित यहां की पांच हजार की आबादी की गांव तक सड़क पहुंचने की उम्मीद कब पूरी होगी यह कोई नहीं जानता। उनकी समस्या तब बढ़ जाती है जब कोई बीमार होता है या गर्भवती प्रसव वेदना से जूझती है।

ऐसे में यहां के ग्रामीण डोली के सहारे खड़ी चढ़ाई, तीखी ढलान, गाड़-गधेरों और बदहाल रास्तों के बीच उन्हें किसी अस्पताल पहुंचाते हैं तब जाकर उन्हें उपचार मिल पाता है। सभी ग्रामीण साल से सड़क की उम्मीद पाले हैं जो पूरी नहीं हो सकी है जबकि विकास के लिए जरूरी बताकर हर गांव को सड़क से जोड़ने के दावे हो रहे हैं।
एक दशक में 35 प्रतिशत ग्रामीणों ने किया पलायन
मौलेखाल। सड़क सुविधा के अभाव में इन गांवों की 35 प्रतिशत आबादी ने बीते एक दशक में पलायन किया है। जसपुर तल्ला के प्रधान प्रकाश चंद्र और रगड़गाड़ के 70 वर्षीय बुजुर्ग जगत सिंह ने बताया कि आसपास के गांवों की एक दशक पूर्व तक करीब आठ हजार से अधिक की आबादी थी जो अब पांच हजार के करीब रह गई है। इस पलायन की मुख्य वजह गांव तक सड़क न पहुंचना बताया। कहा कि किसान अपने उत्पाद बाजार नहीं पहुंचा पाते और वे खेतों में ही बर्बाद हो रहे हैं। ऐसे में अधिकतर युवाओं को रोजगार के लिए महानगरों में जाना पड़ता है जो अब वहीं के होकर रह गए हैं।

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