पांच हजार की लोहे की भट्ठी से शुरू हुआ ग्राफीन बनने का सफर
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय डीएसबी परिसर के रसायन विभाग, प्रध्यापक व शोधार्थियों ने ग्राफीन बनाने में उपलब्धि हासिल की है। शोधार्थियों ने बेकार प्लास्टिक से वर्ष 2016 में ग्राफीन निर्माण की पहल शुरू की थी। इसके बाद वर्ष 2021 में ग्राफीन निर्माण तकनीक एनआरडीएस भारत सरकार की ओर से हेक्सोर्प प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी गई है। उस दौरान शोधार्थियों के पास लैब तक की सुविधा नहीं थी। प्रयोगशाला के लिए फंड न होने पर प्रो. नंद गोपाल साहू और शोधार्थियों ने आपस में पांच हजार रुपये जमा कर लोहे की भट्ठी तैयार कराई।
प्रो. नंद गोपाल साहू ने बताया कि वर्ष 2015 में रसायन विभाग में लैब समेत अन्य सुविधाओं की कमी थी। कहा शोधार्थियों के साथ पैसे जमा कर लोहे की भट्ठी बनवाकर ग्राफीन बनाने का काम शुरू किया। वर्ष 2016 के फंड से लोहे की भट्ठी तैयार की गई। वर्ष 2016 जनवरी में एक बार यह प्रयोग असफल रहा। मार्च 2016 में नई भट्टी तैयार हुई तो ग्राफीन बनाने में कई बार हिटिंग फ्लो अधिक हो जाता था जिससे निराशा मिली। साल 2021 में ग्राफीन बनाने की विधि में सफलता मिली।
कहा एनएचएमएस जीबी पंत इंस्टीट्यूट कोसी कटारमल अल्मोड़ा के सहयोग से नैनीताल शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए विभाग कार्य कर रहा है। इंस्टीट्यूट ने प्लांट स्थापित करने के लिए मदद की है। कहा कि यह उपलब्धि कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी, कुलसचिव दिनेश चंद्रा, परिसर निदेशक प्रो. एलएम जोशी, विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. एबी मेलकानी, शोध निदेशक प्रो. ललित तिवारी, किरीट कुमार, रसायन विभाग के सभी प्राध्यापकों के सहयोग से मिली है