पंजाब पुलिस ने बनाया अपना नेटवर्क
पंजाब पुलिस ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर चल रही फेक खबरों और अफवाहों से निपटने के लिए अपना नेटवर्क बना लिया है। पुलिस ने सभी थाना प्रभारियों को मोबाइल नंबर मुहैया करवाएं है और उन्हें अपने इलाके के करीब 250 से ज्यादा लोगों की ब्रॉडकास्ट लिस्ट बनाकर पुलिस के अच्छे कामों और तथ्यों को सार्वजनिक करने के लिए कहा है।
इससे कुछ ही मिनट में 75 हजार लोगों के पास जानकारियां पहुंच जाएगी। अजनाला कांड के बाद पुलिस ने इस डैमेज कंट्रोल का इस्तेमाल किया है।
पुलिस ने अपने नेटवर्क के माध्यम से एक वीडियो जारी किया जिसमें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का सम्मान किया है। इस कारण कार्रवाई नहीं की गई, जबकि अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने निहत्थे लोगों पर हमला किया है। ये संदेश और सूचना एक उच्चाधिकारियों के स्तर पर चेक होकर वॉट्सऐप के माध्यम से लोगों तक पहुंची।
सिम से नहीं करेंगे SHO कॉल
लुधियाना के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुलिसकर्मियों को नए नंबर दिए गए और उन्हें कॉल करने और नंबर सार्वजनिक करने से बचने के लिए कहा गया है। SHO को कहा गया है कि वे अपने इलाके के गणमान्य लोगों की एक प्रसारण सूची बनाए और उन्हें वे संदेश भेजें जो उन्हें उनके आधिकारिक वॉट्सऐप ग्रुप पर मिलेंगी।
फर्जी खबरों और अफवाहों पर भी टीम की नजर
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक टीम इंटरनेट पर चल रही फर्जी खबरों और अफवाहों पर नजर रख रही है। यदि कोई फेक खबर वायरल हो रही है तो उसके खिलाफ मामले की जांच कर तुरंत सीनियर पुलिस अधिकारी सभी पुलिस कमिश्नर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आधिकारिक वॉट्सऐप ग्रुप पर उस खबर की रिपोर्ट डालेंगे। जहां से एसएचओ के एक अन्य वॉट्सऐप ग्रुप में वह सूचना को अधिकारी सांझा करेंगे। एसएचओ आगे प्रसारण सूची में उस सूचना को जारी करेगा।
शहर के एक एसएचओ ने कहा कि कुछ ही समय में लोग अपने वॉट्सऐप ग्रुप और सोशल नेटवर्किंग साइटों पर लोगों को जागरूक करने वाली जानकारी को जरूर सांझा करेंगे। कुछ लोगों की अदालत होती है कि पोस्टों को अन्य लोगों से सांझा करना जिससे पुलिस को लोगों को जागरूक करने में मदद मिलेगी। आजकल हर मोबाइल इस्तेमाल करने वाले के पास इंटरनेट उपलब्ध है।
एक अन्य एसएचओ ने कहा कि लोग उस व्यक्ति को नहीं जानते हैं जिसने उन्हें खबर भेजी है, लेकिन वे तुरंत ही उसे सांझा कर देते हैं। हमारे निजी नंबर स्थानीय लोगों के विभिन्न वॉट्सऐप ग्रुपों में जोड़े जा रहे हैं, हम मिनटों के भीतर एक ही पोस्ट को कई लोगों द्वारा समूहों में सांझा किए गए देख सकते हैं। इसके अलावा, पुलिस विभाग, सभी जिलों की पुलिस के सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपने लाखों फॉलोअर्स वाले पेज हैं। पुलिस अपने नेक काम को पेजों पर भी शेयर करती है।