उत्तराखंड के 1000 गांवों में हर घर में नल से जल, सीएम धामी विश्व जल दिवस पर करेंगे इन गांवों की घोषणा
देहरादून: प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर को नल से स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चल रहे जल जीवन मिशन के तहत अब गांवों को इससे आच्छादित घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। विश्व जल दिवस पर 24 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक हजार ऐसे गांवों की घोषणा करेंगे, जिनमें शत-प्रतिशत घरों को नल से जल उपलब्ध हो रहा है।
जल जीवन मिशन के चार कंपोनेंट में हर घर में जल संयोजन, प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी की आपूर्ति,
रोजाना जलापूर्ति व उच्च गुणवत्तायुक्त जल शामिल हैं। इन चारों के पूर्ण होने पर ही किसी गांव को हर घर जल से आच्छादित माना जाता है। इन्हीं कंपोनेंट के आधार पर जिलाधिकारियों के माध्यम से सत्यापन का कार्य चल रहा है।
सचिव पेयजल नितेश झा के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की भांति शहरी क्षेत्रों में स्थित सभी स्कूल-कालेजों और आंगनबाड़ी केंद्रों को जल जीवन मिशन के तहत जल संयोजन से जोड़ा जाएगा। इसके लिए 30 अप्रैल की कट आफ डेट रखी गई है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 15 मार्च तक यह कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा
गांवों में प्रत्येक घर को जल जीवन मिशन के तहत नल से जोड़ा जा चुका अभी तक
अब तक जल जीवन मिशन
- 16337 योजनाओं की डीपीआर अनुमोदित, 9771 योजनाएं पूर्ण
- 73.80 प्रतिशत घरों में दिए गए पेयजल कनेक्शन, तीन जिलों में 90 से 100 प्रतिशत
- 15029 गांवों में जल एवं स्वच्छता कमेटी बनाने का लक्ष्य, अब तक 15024 गांवों में बनी
- 19249 स्कूलों में से 19118 में जलापूर्ति की गई सुनिश्चित
- 16473 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 16407 में दिए गए जल संयोजन
- 27 प्रयोगशालाएं पानी की जांच के लिए की गई स्थापित
शहरों में नालियों से गुजरने वाली पाइपलाइन की जांच करें
अपर मुख्य सचिव ने शहरी क्षेत्रों में नालियों से गुजर रही पुरानी पाइपलाइनों में लीकेज की समस्या को देखते हुए इसकी जांच कराने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने जल संस्थान और पेयजल निगम को निर्देशित किया। बैठक में सचिव पेयजल नितेश कुमार झा समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे, जबकि जिलाधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े।
प्रदेश में चल रहे जल जीवन मिशन को मार्च 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। इस कड़ी में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बुधवार को सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इस मिशन को समय से पूर्ण करने के लिए जिम्मेदारी लें।
उन्होंने पिथौरागढ़ जिले में पीलिया के मामलों का संज्ञान लेते हुए पिथौरागढ़ समेत सभी जिलों में जहां भी लोग पेयजल के लिए कुओं का पानी प्रयोग में लाते हैं, उसकी जांच और क्लोरीनेशन के निर्देश भी दिए।
अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से कहा कि जल जीवन मिशन के कार्यों में वन स्वीकृति के मामलों का भी वे शीघ्र निस्तारण कराएं। मिशन के कार्यों में सभी जिला स्तरीय अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित करने और नियमित रूप से मानीटरिंग के निर्देश दिए।
मिशन में स्वीकृत डीपीआर और पूर्ण कार्यों के मध्य कोई गैप नहीं रहना चाहिए। इसके लिए अधिकारियों को प्रो-एक्टिव मोड में कार्य करना होगा।
उन्होंने सभी डीएम को राज्य के प्रत्येक स्कूल, आंगनबाड़ी, पंचायतघर, वेलनेस सेंटर में जलापूर्ति, वाश बेसिन व शौचालय की उपलब्धता और प्रत्येक गांव में पानी की गुणवत्ता की जांच समयबद्धता से करने को कहा।
उन्होंने सभी गांवों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सामुदायिक संस्थानों में फील्ड टेस्टिंग किट से पानी की गुणवत्ता जांचने को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। साथ ही मिशन में हुए कार्यों का थर्ड पार्टी निरीक्षण कराने को भी कहा।