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अगले 5 दिन सूरज बरसाएगा ‘आग’, पहाड़ में वर्षा-बर्फबारी तो मैदान में धूप के बीच मनेगी होली

देहरादून : शीतकाल में वर्षा और बर्फबारी कम होने का असर नजर आने लगा है। मार्च के पहले पखवाड़े में ही देहरादून समेत पूरे राज्य में अधिकतम तापमान कुलांचे भर रहा है। हालांकि, सुबह और रात को ठंडक बनी हुई है। इससे थोड़ी राहत महसूस की जा रही है

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि अगले पांच दिन तक उत्तराखंड का मौसम शुष्क रहने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान में पांच डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी हो सकती है

केवल आठ मार्च (होली के दिन) को पर्वतीय जिलों उत्तकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ के ऊंचाई वाले इलाकों में कहीं-कहीं हल्की वर्षा और समुद्र तल से साढ़े तीन हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी की संभावना है। जबकि, मैदानी क्षेत्रों में दिनभर धूप खिली रहेगी।

आने वाले दिनों में पारे में तेजी से उछाल की संभावना

मार्च के बीते छह दिनों की बात करें तो दून में हर दिन अधिकतम तापमान तीन से पांच डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा। चार मार्च सबसे ज्यादा गर्म रहा। इस दिन अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक 30.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार आने वाले दिनों में पारे में तेजी से उछाल की संभावना है।

सोमवार को प्रदेशभर में सबसे ज्यादा चटख धूप देहरादून में महसूस की गई। यहां अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 29.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इसके बाद ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा में अधिकतम तापमान 29.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा।

मसूरी, ऋषिकेश, हरिद्वार और रुड़की में भी दिनभर चटख धूप खिली रही। मौसम के इस रुख से अभी से दिन में घर से बाहर निकलना मुश्किल होने लगा है। वर्षा नहीं होने की स्थिति में माह के अंत तक पारे में अच्छी-खासी वृद्धि देखने को मिल सकती है।

हालांकि, उच्च पर्वतीय इलाकों में कहीं-कहीं बादलों की मौजूदगी से राहत रही। रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ के ऊंचाई वाले इलाकों में दोपहर बाद कहीं-कहीं हल्के बादल छाये रहे।

वर्ष 2006 में सबसे गर्म रहा मार्च

पिछले 20 साल में दून में 21 मार्च 2006 का दिन सबसे अधिक गर्म रहा। इस दिन अधिकतम तापमान सामान्य से सात डिग्री अधिक 38.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। इसके बाद से मार्च में पारा इस स्तर पर नहीं पहुंचा है। हालांकि, इस वर्ष जिस तरह पारा कुलांचे भर रहा है, उसे देखते हुए माह के अंत तक इस आंकड़े के करीब पहुंचने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता

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