पर्यटकों को आकर्षित कर रही है लोकवन झील
पिथौरागढ़। नगर से 22 किमी दूर जल संरक्षण और पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से बनाई गई लोकवन झील पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। इन दिनों झील को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जा रहे हैं। स्थानीय लोगों ने यहां पर पर्यटन गतिविधियां और बढ़ाने के लिए नौकायन शुरू करने की मांग की है।
थलकेदार के जंगलों के बीच बनी यह झील काफी खूबसूरत है। केंद्र सरकार की बीएडीपी योजना, एमबीएडीपी, जलागम और ग्राम पंचायत से मिले 60 लाख रुपये से 80 मीटर लंबी, 40 मीटर चौड़ी और तीन मीटर गहरी झील बनाई गई है। झील के बनने से बड़ाबे गांव में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिला है।
प्रसिद्ध थलकेदार मंदिर के दर्शन के बाद श्रद्धालु झील को देखने जा रहे हैं। ग्रामीण विपिन जोशी ने प्रशासन से झील में नौकायन शुरू करने की मांग की है।
आध्यात्म और योग केंद्र बनाने की है योजना
पिथौरागढ़। बड़ाबे गांव प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां से हिमालय का अद्भुत नजारा साफ दिखता है। यहां प्रसिद्ध थलकेदार धाम मौजूद है जहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और इसी धाम के जंगलों से आने वाले पानी को संग्रहित कर थलकेदार मंदिर के मुख्य गेट से पहले इस झील का निर्माण किया गया है। चारों तरफ बुरांश और बांज के जंगल होने के कारण इसे बुरांश लोकवन झील नाम दिया गया है जिसे अध्यात्म और योग का केंद्र बनाने की भी योजना है। संवाद
चिड़िया की कई प्रजाति हैं
पिथौरागढ़। थलकेदार क्षेत्र विभिन्न प्रकार की चिड़िया और जंगली जानवर हैं। यहां मंदिर के दर्शन के लिए जाने वाले पर्यटकों को चिड़िया की आवाज प्रफुल्लित करती है। इसके साथ ही जंगल में भूरा लंगूर, तेंदुआ, काकड़, घुरड़ सहित कई अन्य जानवर भी हैं। श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान कई जंगली जानवरों के दीदार भी होते हैं। संवाद
बड़ाबे झील में नौकायन शुरू करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि मुलाकात कर सकते हैं। -वरुण चौधरी, सीडीओ पिथौरागढ़।
जल संरक्षण के लिए गांव में झील का निर्माण किया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देकर ग्रामीणों की आय में सुधार करना है। -तारा जोशी, ग्राम प्रधान बड़ाबे