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ब्रिटेन में टिकटॉक पर बैन मंत्री और अफसर नहीं कर सकेंगे इस्तेमाल, अमेरिका में भी इस ऐप पर बैन की तैयारी पूरी

चीन के सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक को ब्रिटेन सरकार ने बैन कर दिया है। गुरुवार दोपहर ब्रिटेन सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया- कोई भी मिनिस्टर या अफसर अपने फोन में टिकटॉक का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। यह देश की सिक्योरिटी के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

टिकटॉक के लिए अमेरिका से भी परेशान करने वाली खबर आ रही है। अमेरिकी सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर टिकटॉक की चीन में मौजूद पेरेंट कंपनी इसका बड़ा हिस्सा किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचती, तो पूरे अमेरिका में इसे बैन कर दिया जाएगा। भारत में ये ऐप पहले ही बैन हो चुका है।

ब्रिटेन ने चौंकाया
ब्रिटेन की ऋषि सुनक सरकार ने गुरुवार को अचानक टिकटॉक पर बैन लगा दिया। फिलहाल, इसका दायरा सीमित है। तमाम मिनिस्टर्स और हर सरकारी अफसर के लिए ये अब मेंडेटरी होगा कि वो अपने फोन में टिकटॉक का इस्तेमाल न करें।

कैबिनेट ऑफिस मिनिस्टर ओलिवर डाउडेन ने कहा- कोई भी मंत्री या अफसर अब इस चाइनीज ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। इस ऑर्डर को फौरन मानना होगा। सभी को अपने फोन से यह ऐप डिलीट करना होगा। हमने यह फैसला नेशनल सायबर सिक्योरिटी सेंटर की रिपोर्ट की जांच के बाद किया है। इस ऐप की वजह से हमारी नेशनल सिक्योरिटी पर खतरे की आशंका है।

अमेरिका भी टिकटॉक को बैन करेगा

  • जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने टिकटॉक पर बैन की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए लीगल ग्राउंड्स तैयार किए जा रहे हैं। ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट के मुताबिक- टिकटॉक की पेरेंट कंपनी को अमेरिकी सरकार ने एक लेटर लिखा है।
  • इस लेटर में कहा गया- चीन में मौजूद कंपनी की एक तय और बड़ी हिस्सेदारी किसी अमेरिकी कंपनी को बेची जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो अमेरिका इस ऐप पर कम्पलीट बैन लगा देगा।
  • चीन ने अमेरिका के कदम को दबाव डालने वाली साजिश करार दिया। कहा- अमेरिकी सरकार चीन की कंपनियों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। हम इस वीडियो शेयरिंग ऐप का इस्तेमाल किसी फायदे के लिए नहीं करते।
  • टिकटॉक की पेरेंट कंपनी का नाम बाइटडेंस है। उसने अमेरिका के कदम पर कहा- हमारे 60% शेयर ग्लोबल इन्वेस्टर्स के पास हैं। 20% कर्मचारियों और 20% इसके फाउंडर मेंबर्स के पास हैं। 2012 में बनी इस कंपनी की वर्किंग पूरी तरह ट्रांसपेरेंट है।
  • मोदी सरकार ने चार साल पहले टिकटॉक पर बैन लगाया था। चाइनीज कंपनी के वीडियो ऐप टिकटॉप पर पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने के आरोप थे। इसके अलावा उस पर भारतीयों का डेटा चोरी करने के आरोप का भी सामना करना पड़ा था। सबसे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर बैन लगाया था।
  • हाईकोर्ट से बैन होने के बाद बाइटडांस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उसने भी मद्रास हाईकोर्ट का ऑर्डर बहाल रखा था।
  • भारत में बैन की वजह से इसकी पेरेंट कंपनी बाइटडांस को रोज 5 लाख डॉलर (3.50 करोड़ रुपए) का नुकसान हो रहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि टिकटॉक की डाउनलोडिंग पर रोक लगाई जाए, इससे पोर्नोग्राफी को बढ़ावा मिल रहा है। इसके बाद सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एपल को गूगल को अपने ऑनलाइन स्टोर से टिकटॉक हटाने के लिए कहा था। दोनों कंपनियों ने ऐप हटा दिया। उस वक्त देश में टिकटॉक के 24 करोड़ यूजर थे।

टिकटॉक ने क्या कहा था
बैन के वक्त टिकटॉक इंडिया के CEO निखिल गांधी ने कहा था- हम भारतीय कानून का पालन कर रहे हैं। हम भारतीय कानून के तहत डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। हमने चीन समेत किसी भी विदेशी सरकार के साथ भारतीय यूजर्स की जानकारी शेयर नहीं की है। अगर भविष्य में भी हमसे अनुरोध किया जाता है तो हम ऐसा नहीं करेंगे। हम यूजर की निजता की अहमियत समझते हैं।

भारत में चीन के ऐप्स पर बैन कैसे लगा था
साल 2000 में बने IT कानून में एक धारा है- 69A। यह धारा कहती है कि देश की सम्प्रभुता, सुरक्षा और एकता के हित में अगर सरकार को लगता है, तो वह किसी भी कम्प्यूटर रिसोर्स को आम लोगों के लिए ब्लॉक कर देने का ऑर्डर दे सकती है। यह धारा कहती है कि अगर सरकार का ऑर्डर नहीं माना गया, तो सात साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 59 ऐप्स पर इसी धारा के तहत बैन लगाया गया है।

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