नर्मदा जल के लिए हादसों का शिकार हो रहे श्रद्धालुभूतड़ी अमावस्या पर खेड़ीघाट पर जुटेंगे लाखों श्रद्धालु, ओंकारेश्वर बांध से रोका पानी
खंडवा तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में नर्मदा स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां जलस्तर कम होने तथा घाट सूखे होने से लोग पत्थरों में नर्मदा जल की तलाश करते हैं। ऐसे में अमावस्या-पूर्णिमा पर तीन-चार हादसे होना आम बात हो गई है। बाहरी राज्यों से आए श्रद्धालुओं को परिवार के किसी सदस्य की मौत देखना पड़ती है। 6 माह के भीतर दो दर्जन मौतें हुई हैं। मरने वाले अधिकांश युवा है, जिनकी उम्र 16 से 26 साल के बीच है।
तीन दिन बाद भूतड़ी अमावस्या है। भूत-प्रेत आत्माओं से छूटकारा पाने नर्मदा घाटों पर स्नान होता है। खंडवा के ओंकारेश्वर, सनावद में प्रदेश व अन्य राज्यों से लाखों की तादाद में लोग आएंगे। लेकिन स्नान के लिए उन्हें नर्मदा जल की तलाश करना पड़ती है। क्योंकि, ओंकारेश्वर बांध से पानी रोक दिया गया है। वहीं, नहरों के जरिए नर्मदा के पानी को गुजरात भेजा रहा है। ओंकारेश्वर विद्युत परियोजना का वेस्ट पानी सिर्फ बहाया जाता है, वह पानी भी बांध से 10-20 फीट एरिया में ही समां जाता है। ज्योतिर्लिंग मंदिर और तीर्थनगरी के सारे घाट सूखे और सूने है।
खास बात तो यह है कि, इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर खेड़ीघाट में मां नर्मदा के दर्शन करने वालों को सिर्फ पत्थर दिखाई देते हैं। खेडीघाट पर मां नर्मदा का विशाल तट है। इसी जगह पर बारिश के समय नर्मदा खतरे के निशान से ऊपर बहती है। लेकिन वर्तमान हालात ऐसे हैं कि, कोई भी व्यक्ति पैदल इस पार से उस पार नर्मदा नदी को पार कर सकता हैं। इधर, तीर्थनगरी के क्षेत्रवासियों ने भूतड़ी अमावस्या पर नर्मदा के जलस्तर को सामान्य रखने की मांग प्रशासन से की है।