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गांधीजी के पास कोई डिग्री नहीं थी जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल बोले- लोगों को भ्रांति है कि गांधीजी के पास लॉ की डिग्री थी

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि महात्मा गांधी के पास कोई डिग्री नहीं थी। सिन्हा गुरुवार को ग्वालियर की ITM यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। उन्होंने कहा- बहुत लोगों को, वो भी पढ़े-लिखे लोगों को यह भ्रांति है कि गांधीजी के पास लॉ की डिग्री थी, लेकिन यहां मैं बता रहा हूं कि उनके पास कोई डिग्री नहीं थी। गांधीजी सिर्फ हाई स्कूल डिप्लोमा किए थे।

गुरुवार को ITM यूनिवर्सिटी में डॉ. राम मनोहर लोहिया की स्मृति में चांसलर रमाशंकर सिंह द्वारा संपादित डॉ. राम मनोहर लोहिया-रचनाकारों की नजर में खण्ड-2 पुस्तक का विमोचन हुआ। इसी कार्यक्रम में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। यहां पुस्तक का विमोचन करने के बाद सिन्हा सबसे पहले महात्मा गांधी पर बोले। उन्होंने कहा, गांधीजी सिर्फ हाई स्कूल डिप्लोमा किए थे। अब यहां बैठे लोग मुझसे सवाल करेंगे तो मैं यह बात पूरे तथ्यों के साथ कह रहा हूं, इसका आधार है मेरे पास।

गांधी जी के प्रपौत्र बोले- जाहिलों को राज्यपाल बना देंगे तो यही होगा

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के इस बयान पर ने महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी से बात की। उ्न्होंने कहा कि जाहिलों को राज्यपाल बना देंगे तो यही नतीजा होगा। उनके पास लॉ की डिग्री थी, लेकिन इसकी एन्टॉयर लॉ डिग्री जरूर नहीं थी। जैसी मोदी जी के पास पॉलिटिकल साइंस की एन्टॉयर लॉ डिग्री है। उन्होंने कहा कि बापू ने अपनी डिग्री से लेकर अपने जीवन से जुड़ी हर बात अपनी आत्मकथा में लिखी है। इसकी एक प्रति मैं मनोज सिन्हा को भेज दूंगा, ताकि वे अपनी समझ बढ़ा सकें।

तुषार गांधी ने कहा- मुझे ताज्जुब नहीं होता, मैं सराहना करना चाहता हूं कि उन्होंने इतनी निर्भयता से अपनी अज्ञानता का प्रदर्शन किया है। पर ये समझना बहुत जरूरी है कि ये उनका स्वेच्छिक बयान नहीं है। बापू की हत्या के बाद, एक विचारधारा बनाई गई है। 75 साल तक बापू के बारे में दुष्प्रचार कर उनकी मानहानि करने की साजिश चलाई है। कई किरदार और एक्टर इसमें शामिल हैं, वे आते हैं और अपना किरदार निभाकर चले जाते हैं। उसी श्रृंखला में ये भी एक है। जिस श्रृंखला में गुजरात में स्कूलों में ये पूछा गया था कि महात्मा गांधी ने आत्महत्या कैसे की? तो कहीं पर उन पर तोहमत लगाई जाती है कि उन्होंने पाकिस्तान को 55 करोड़ दिलवाए

तुषार गांधी ने कहा, ‘उपराज्यपाल जी के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि बापू ने राजकोट के अलफ्रेड हाईस्कूल से भारतीय मैट्रिक, उस जमाने की भारतीय मैट्रिक पास की थी। उसके बाद वो इंग्लैंड गए थे, वहां लंदन यूनिवर्सिटी के साथ संलग्न इनर टेम्पल में से लॉ की पढ़ाई करके, परीक्षा पास करके लॉ की डिग्री हासिल की थी। उसके साथ साथ उन्होंने दो डिप्लोमा भी लिए थे। एक डिप्लोमा लैटिन भाषा में था और दूसरा फ्रेंच भाषा में था। ये सारी चीजें आत्मकथा में दर्ज हैं।

मैं उपराज्यपाल जी को वो आत्मकथा भेजूंगा, ताकि अगर वो पढ़ सकते हैं तो अपना अज्ञान दूर करें। पर मैं नहीं मानता कि ये उनके अज्ञान की वाणी थी। वो जानते हैं कि वो जो बोल रहे हैं वो झूठ है। पर उन्हें जो किरदार दिया गया है, उसे वो वफादारी से निभा रहे हैं, इसलिए उस आत्मकथा का भी उनके ऊपर असर होगा, ऐसी मुझे आशा नहीं है। पर फिर भी मेरा कर्तव्य मैं पूरा करूंगा और उन्हें वो आत्मकथा मैं जरूर भेजूंगा।’

उपराज्यपाल ने कहा कि आज डॉ. लोहिया होते तो खुश होते कि नल-जल योजना, घर-घर शौचालय और स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की कोशिश की गई है। मुझे लगता है कि विकास का शिखर छूने के लिए एक-एक व्यक्ति की जड़ों को पोषित करना होगा। तभी समाज की बुनियाद मजबूत हो सकती है। ये बात उन्होंने आईटीएम यूनिवर्सिटी द्वारा अमर शहीद स्मरण दिवस के अवसर पर आयोजित आठवें राम मनोहर लोहिया स्मृति व्याख्यान में कही।

उन्होंने आगे कहा कि विश्व के अनेक बड़े-बड़े विचारक आज भी भारतवर्ष को डॉ. लोहिया के साथ ऐसे जोड़कर देखते हैं जैसे किसी जमाने में लोग ग्रीक के साथ सुकरात को देखते थे। अपना पूरा जीवन लोक कल्याण वंचित वर्ग के हितों की रक्षा के लिए समर्पित करने वाले डॉ. लोहिया न्याय के लिए अनवरत संघर्ष करते रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि एवं कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल ने कहा कि आप लोगों की उम्र में मैं लोहिया से मिला था। पहली भेंट में विचारों का अपना उजाला होता है। लोहिया को हम राजनेता नहीं मानते। लोहिया जननेता थे। लोहिया के पास विचारों का एक खजाना था।

भारतीय समाज को नई परिभाषा दी- रमाशंकर सिंह

आईटीएम यूनिवर्सिटी के फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह ने कहा- भारत में आजादी, गरीबी, बीमारी, शिक्षा के ये जो मुख्य मुद्दे हैं, उस पर राजनीति कैसे चले, इसके लिए लोहिया की तरह सचेतक बने। जिनका सरकार में आना-जाना महत्वपूर्ण न हो वो सत्ता में न जाते हुए इन महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाएं। लोहिया अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिसने सारे निर्गुण सिद्धांतों को सगुण कार्यक्रमों में बदल दिया और उन्होंने भारतीय समाज को नई परिभाषा दी समता, स्वतंत्रता और सौंदर्य की।

कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद केसी त्यागी ने कहा कि भगत सिंह ने लिखा है कि जब तक व्यक्ति का व्यक्ति के द्वारा, समाज का समाज के द्वारा शोषण बंद नहीं हो जाता है तब तक मेरी और मेरे जैसे लोगों की लड़ाई जारी रहेगी। भगत सिंह का सपना अधूरा है। इसलिए आप पढ़ो और बढ़ो। कार्यक्रम में आईटीएम यूनिवर्सिटी की चांसलर रुचि सिंह चौहान, प्रो चांसलर डॉ. दौलत सिंह चौहान, वाइस चांसलर प्रो. एसएस भाकर विशेष रूप से मौजूद रहे।

रमाशंकर सिंह द्वारा संपादित पुस्तक का हुआ विमोचन

डॉ. राममनोहर लोहिया की स्मृति में रमाशंकर सिंह द्वारा संपादित डॉ. राम मनोहर लोहिया-रचनाकारों की नजर में खण्ड-2 पुस्तक का लोकार्पण किया गया। बता दें, पुस्तक की प्रस्तावना प्रो. राजकुमार जैन द्वारा दी गई है। इस मौके पर प्रो. जैन ने कहा कि कि रमाशंकर सिंह को मैंने तृप्त होते कभी देखा ही नहीं, कोई न कोई कमी रह ही जाती हैं। उन्होंने कहा कि मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कोई लोहिया को अगर जनना चाहता है तो अकेली इस किताब पढ़कर वो लोहिया के व्यक्तित्व के बारे मे जान पाएगा।

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