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अदालतें सूनींफरियादियों को घुसने नहीं दिया; ग्वालियर जज हड़ताल से नाराज; 92 हजार वकीलों का काम बंद

साकेत नगर निवासी संदीप जैन के खिलाफ चेक बाउंस का केस लगा है। संदीप 28 फरवरी को कोर्ट में उपस्थित हुए और कागजातों पर हस्ताक्षर भी किए। इसके बाद भी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया। गुरुवार को जब वे कोर्ट पहुंचे तो वकीलों ने उन्हें गेट के भीतर नहीं जाने दिया। वे कोर्ट के चक्कर लगाते रहे। उन्हें डर था कि कोर्ट में यदि नहीं गए तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।

प्रदेश में ऐसे हजारों केस रहे, जिसमें वकीलों ने फरियादियों को कोर्ट में घुसने नहीं दिया। हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्यपीठ, ग्वालियर-इंदौर खंडपीठ सहित 52 जिलों की सभी अदालतों में करीब 40 हजार मामलों में पैरवी नहीं हो पाई। वकीलों ने अर्जेंट मामलों में भी पैरवी नहीं की। इंदौर में एक सीनियर एडवोकेट ने कोर्ट रूम में पहुंचकर पैरवी करनी चाही तो मप्र स्टेट बार काउंसिल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस थमाकर तीन दिन में जवाब मांग लिया। वहीं, प्रदेशभर में 92 हजार वकीलों के हड़ताल पर जाने से हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जज खासे नाराज हुए। एक कॉमन आदेश में जजों ने कहा कि स्टेट बार चीफ जस्टिस (सीजे) के साथ परामर्श कर समस्या का हल निकाल सकती थी।

अर्जेंट सुनवाई के आवेदन नहीं कर सकेंगे
गुरुवार को ग्वालियर खंडपीठ में जितने मामलों की सुनवाई हुई, उनमें से कुछ केस में जजों ने अगली सुनवाई 12 जून के बाद तय कर दी। जजों ने स्पष्ट किया कि इन मामलों में अर्जेंट सुनवाई के लिए वकील आवेदन भी नहीं कर पाएंगे।

तीन माह बाद तारीख देना ठीक नहीं

“केसों में अगली तारीख तीन माह बाद की दी, उससे ये पता चलता है कि वे पक्षकारों का कितना हित चाहते हैं? ये रवैया ठीक नहीं है।”
– एडवोकेट प्रेम सिंह भदौरिया, अध्यक्ष मप्र स्टेट बार काउंसिल

इसलिए हड़ताल पर हैं वकील

बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने अधीनस्थ अदालतों को 25 चिह्नित पुराने प्रकरणों को 3 महीने में निपटाने के आदेश दिए हैं। वकील इसी का विरोध कर रहे हैं।

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