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कांग्रेस हाईकमान का हिमांशु पर भरोसा, जिलाध्यक्ष मनोनीत

रुद्रपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उत्तराखंड के जिले और महानगर अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। ऊधमसिंह नगर के कार्यकारी जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा पर हाईकमान ने भरोसा जताते हुए स्थायी जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। बीते कुछ समय से पार्टी गतिविधियों से किनारे रहने वाले जिलाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा को पद से हटा दिया है। इसके अलावा रुद्रपुर महानगर के कार्यकारी अध्यक्ष सीपी शर्मा और काशीपुर के कार्यकारी अध्यक्ष मुशर्रफ हुसैन को कार्यकारी की जगह स्थायी अध्यक्ष बनाया है।

दरअसल आगामी निकाय और लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने जनवरी में संगठन में फेरबदल कर ब्लॉक, शहर अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। लेकिन जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की घोषणा नहीं की। बृहस्पतिवार को कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर से संगठनात्मक दृष्टि से बनाए प्रदेश के 20 जिलों के जिलाध्यक्ष और छह महानगर अध्यक्षों की सूची जारी की गई।

इनमें ऊधमसिंह नगर के कार्यकारी जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। हिमांशु एक साल से कार्यकारी जिलाध्यक्ष के रूप में संगठन का कामकाज देख रहे थे। इससे पहले वे छह साल तक रुद्रपुर महानगर अध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं।
विधानसभा चुनाव के बाद से वर्तमान जिलाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने पार्टी गतिविधियों में सक्रियता को बेहद सीमित कर लिया था। इसके चलते जिले में होने वाले कार्यक्रम हिमांशु की अगुवाई में हो रहे थे। इधर कांग्रेस ने रुद्रपुर और काशीपुर के दोनों कार्यकारी महानगर अध्यक्षों पर भरोसा किया है।

रुद्रपुर महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा और काशीपुर महानगर अध्यक्ष संदीप सहगल को हटा दिया गया है। बड़ी बात है कि पार्टी ने एक जगह पर कार्यकारी और स्थायी दो-दो अध्यक्षों की व्यवस्था को भी खत्म कर दिया है। रुद्रपुर में कार्यकारी और स्थायी अध्यक्ष होने से पार्टी गुटों में बंटी हुई थी।
नवनियुक्त जिलाध्यक्ष हिमांशु ने कहा कि उनको जो जिम्मेदारी मिलती रही है, उसका पूरा ऊर्जा के साथ निर्वहन किया। पार्टी को जिले में मजबूत करने की दिशा में ठोस कार्य किए जाएंगे।

तो रुद्रपुर में अलग-अलग नहीं होंगे कांग्रेस के कार्यक्रम
रुद्रपुर। कांग्रेस के रुद्रपुर महानगर में कार्यकारी और स्थायी अध्यक्ष होने की वजह से पार्टी भी गुटों में बंटी हुई थी। दोनों ही अध्यक्ष अपने अपने गुटों के कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी कार्यक्रम करते थे। कांग्रेस में गुटबाजी के चलते आम कार्यकर्ता निराश रहता था। इसी वजह से कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी। हालांकि बीते दिनों राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के विरोध में हुए सत्याग्रह में सभी कांग्रेसी एकजुट दिखे थे। अब माना जा रहा है कि जिले और महानगर में एक ही अध्यक्ष की पूर्व की व्यवस्था बहाल होने के बाद कार्यकर्ता भी गुटबाजी पर अंकुश लगने की उम्मीद जता रहे हैं।

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