राजकीय चिकित्सालय में यूरोलॉजी विभाग के संचालन में परेशानी, दूरबीन मशीन आ गई, जरूरी उपकरण नहीं मिले
हल्द्वानी, कहावत है कि सुरक्षा के लिए व्यक्ति को बंदूक तो थमा दी लेकिन गोलियां नहीं दीं। ऐसा ही डाॅ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के यूरोलॉजी विभाग में देखने को मिल रहा है। करीब दो साल बाद कड़ी मशक्कत के बाद दूरबीन तो मंगवा ली गई, लेकिन ऑपरेशन के लिए सबसे जरूरी उपकरण लिथोप्लास्ट व लेजर नहीं उपलब्ध कराया गया है। जबकि यूरोलॉजी विभाग में ही प्रतिदिन 100 से अधिक मरीज ओपीडी में ही पहुंचते हैं
राजकीय मेडिकल कालेज के एसटीएच में सुपर स्पेशलिस्ट विभाग खुल गए हैं। इसका लाभ मरीजों को मिल रहा है लेकिन अभी भी पर्याप्त उपकरण व कई विभागों में डॉक्टर नहीं होने से परेशानी हो रही है।
यूरोलॉजी विभाग में दो वर्ष पहले यूरोलॉजिस्ट डा. लक्ष्मण पाल सिंह ने ज्वाइन किया। कालेज प्रशासन को समय पर चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करा देने चाहिए थे। करीब छह महीने पहले दूरबीन, लिथोप्लास्ट व लेजर मशीन की खरीद के लिए टेंडर हुआ। सभी तकनीकी प्रक्रियाएं भी पूरी कर ली गईं।
इसके बावजूद विभाग को दूरबीन अब उपलब्ध हो पाई है। इसकी कीमत करीब सवा करोड़ रुपये है। दूरबीन का लाभ तभी है, जब पेट की पथरी के ऑपरेशन के लिए लिथोप्लास्ट व लेजर उपलब्ध कराया जाए, लेकिन इसकी खरीद अभी तक नहीं हो सकी है।
हालांकि, डॉक्टर कुछ उपकरण अपने स्तर से उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन दिक्कत कम नहीं हो रहीं। एक माह में ही 70 से अधिक ऑपरेशन हो जाते हैं। इस संबंध में पूछने पर डा. लक्ष्मण का कहना है कि जितने अधिक उपकरण उपलब्ध होंगे, मरीजों के हित में और बेहतर काम करना संभव हो सकेगा।
प्लास्टिक सर्जन नहीं
एसटीएच में पिछले दो महीने से प्लास्टिक सर्जन नहीं है। जब तक अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन डाॅ. हिमांशु सक्सेना कार्यरत थे, ओपीडी में ही 50 से अधिक मरीज पहुंच जाते थे। तब सर्जरी के लिए 30 से अधिक मरीज भर्ती रहते थे। अब सुपर स्पेशलिस्ट नहीं होने की वजह से परेशानी हो रही है।
इन्होंने कहा…
राजकीय मेडिकल कॉलेज प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया कि यूरोलॉजी विभाग में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। दूरबीन उपलब्ध करा दी है, बाकी उपकरण भी जल्द आ जाएंगे। जूनियर डॉक्टरों की भी व्यवस्था की गई है। प्लास्टिक सर्जन की नियुक्ति के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं