समस्याओं पर करें विचार, रोगियों को दें बेहतर उपचार

मेरठ। आयुर्वेद न सिर्फ प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है वरन यह लोगों को स्वस्थ जीवन जीने का तरीका भी सिखाती है। आयुर्वेद उपचार से मिल रहे लाभ लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। आवश्यकता है कि आयुर्वेद चिकित्सक अपने समक्ष आने वाली समस्याओं पर विचार-विमर्श करे ताकि रोगियों को और बेहतर उपचार मिल सके। आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सहयोग से विश्व आयुर्वेद परिषद की ओर से आईआईएमटी विश्वविद्यालय में ‘आयुर्वेद के पुनरुत्थान में मेरा योगदान’ विषय पर आयोजित विशेष चर्चा में वक्ताओं ने यह विचार रहे।
आईआईएमटी विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में आयोजित ‘आयुर्वेद के पुनरुत्थान में मेरा योगदान’ विषय पर आयोजित विशेष चर्चा का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। मंच संचालन कर रहीं डॉ कुलसुम ने अतिथियों का परिचय दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर पीके प्रजापति व मुख्य वक्ता प्रोफेसर महेश व्यास, डॉ सुरेंद्र चौधरी राष्ट्रीय सचिव वीएपी उ.प्र, डॉ चंद्र चूड़ मिश्रा महासचिव विश्व आयुर्वेद परिषद यूपी का डॉ सुजीत के दलाई प्राचार्य आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, डीएमएस डॉ सुरेंद्र तंवर ने पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया।
यह पहली बार था जब आयुर्वेद बिरादरी के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में चर्चा का एक खुला पैनल था। कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों और अस्पतालों के प्राचार्य, व्याख्याताओं और चिकित्सकों ने भाग लिया। वक्ताओं ने आयुर्वेद, उपचार के दौरान आने वाली समस्याओं व विभिन्न विषयों पर विचार रखे।
डॉ चित्रांशु, डॉ शॉन, डॉ अतुल, डॉ अमोल, डॉ तमन्ना, डॉ रिंटो, डॉ मोनिका, डॉ रितु, डॉ अंजलि, डॉ प्रदीप, डॉ कंचना, डॉ नेहा, डॉ प्रभात, डॉ. मीना टंडले, डॉ. नेहा, डॉ. सुमन, डॉ. अक्षिता, डॉ. गीतिका, डॉ. ईशेंद्र, डॉ. मीनू ने कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहयोग दिया। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के डीएसडब्लू डा0 नीरज शर्मा, निदेशक प्रशासन डा0 संदीप कुमार, वित्त नियंत्रक नीरज मित्तल, मीडिया प्रभारी सुनील शर्मा का विशेष योगदान रहा। समापन समारोह व राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ