औषधीय और हर्बल यूनिट लगाने पर मिलेंगे पांच से 15 लाख रुपये
रुद्रपुर। नई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। राज्य में औषधीय, हर्बल व सुगंध पौध, प्राकृतिक फाइबर व लघु वनोपज पर आधारित उद्योग लगाने पर उद्योगपतियों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त पूंजीगत उपादान सहायता मिलेगी। राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2015 में बनाई गई एमएसएमई नीति को 31 मार्च को खत्म कर दिया गया था। नई नीति का ड्राफ्ट तैयार कर उद्यमियों से सुझाव मांगे थे। जिला उद्योग केंद्र की ओर से उद्योगपतियों के सुझाव शासन को भेज दिए हैं।
इन सूक्ष्म इकाई पर पांच लाख रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे
– पिरूल से ब्रिकेट्स बनाने पर
-खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में
– संबंधित जिलों में (एक जनपद दो उत्पाद)
-राज्य के जीआई टैग प्राप्त उत्पाद
– अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति
– दिव्यांग व महिला उद्यमियों की ओर से स्थापित विनिर्माणक उद्यम
नोट: यह मदद एमएसएमई की अतिरिक्त पूंजीगत उपादान सहायता योजना के तहत दी जाएगी। उद्यमी की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 प्रतिशत अनिवार्य होनी चाहिए।
ऐसे होगा फायदा
-एक करोड़ रुपये तक के निवेश पर 20 लाख रुपये अनुदान भी दिया जाएगा।
-लघु इकाई स्थापना पर सरकार 10 लाख रुपये देगी। इसमें पांच करोड़ रुपये निवेश करने पर 60 लाख का अनुदान -पांच से 10 करोड़ रुपये तक के निवेश पर 90 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
-मध्यम इकाई पर निवेश करने पर 15 लाख रुपये सरकार की ओर से दिए जाएंगे।
-मध्यम इकाई में 10 से 50 करोड़ रुपये तक के निवेश पर 1.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा।
एमएसएमई से अब तक जिले में 72 हजार लोगों को मिला रोजगार
रुद्रपुर। पुरानी एमएसएमई नीति के तहत जिले में अब तक 72 हजार लोगों को रोजगार मिला है। उद्यमियों ने जिले में 9466 लघु, सूक्ष्म व मध्यम वर्ग की इकाइयों की स्थापना की है। जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों की मानें तो नई नीति के तहत उद्यमियों को कई सुविधाएं मिलेंगी। एमएसएमई की सभी वर्गों में निवेश के मायने ही बदल दिए गए हैं। नई एमएसएमई के तहत कई और उद्योग स्थापित किए जाएंगे।
एमएसएमई नीति 2023 में सरकार ने कई बदलाव किए हैं। इसमें हर्बल, औषधीय सहित दिव्यांगों व महिलाओं को उद्योग लगाने पर अतिरिक्त पूंजीगत उपादान सहायता की योजना बनाई गई है। नई एमएसएमई नीति के ड्राफ्ट तैयार होने के बाद जिले के उद्यमियों के सुझाव शासन को भेज दिए गए हैं। -विपिन कुमार, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र