प्रदेश में बालक-बालिका अनुपात में सुधार, पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट
पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट में उत्तराखंड ने बालक-बालिका अनुपात में सुधार किया है। वर्ष 2015-16 की सर्वे रिपोर्ट में जहां प्रदेश में 0-5 आयु वर्ग तक के बच्चों का अनुपात 888 था। जो वर्ष 2020-21 में प्रति हजार बालकों के सापेक्ष 984 बालिकाओं का जन्म दर्ज किया गया।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने बालक-बालिका अनुपात में बढ़ोतरी की वजह आम लोगों तक राज्य व केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंचना, संस्थागत प्रसव व पीसीपीएनडीटी को सख्ती से लागू करना बताया है।
पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में बालक-बालिका अनुपात में बेहतर सुधार हुआ है। इसके मुताबिक राज्य में 0-5 आयु वर्ग तक के बच्चों का अनुपात 984 दर्ज किया गया है। जो विगत वर्षों के मुकाबले कहीं अधिक है। अब राज्य में प्रति 1000 बालकों पर 984 बालिकाएं जन्म ले रही हैं। जबकि चौथी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट 2015-16 में यह संख्या महज 888 थी।इन जिलों में बालकों के मुकाबले बालिकाओं का जन्म हुआ कम