नदी पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने और बनाए रखने की जरूरत
नैनीताल। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण बृहस्पतिवार से शुरू हो गया है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन जल शक्ति मंत्रालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स की ओर से शहरी नदियों का प्रबंधन नियोजन से अभ्यास तक विषय पर हुए प्रशिक्षण में वक्ताओं ने नदी पारिस्थितिकी तंत्र को बचाए रखने की जरूरत बताई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ एटीआई के महानिदेशक बीपी पांडे, भास्कर दासगुप्ता, धीरज जोशी, सुमित चक्रवर्ती, राहुल सचदेवा व रोहित ज्याड़ा ने संयुक्त रूप से किया। महानिदेशक पांडे ने आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नदी केंद्रित विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रशिक्षण में वर्चुअल रूप से शामिल एमएनसीजी के ईडी (एफ) भास्कर दासगुप्ता ने कहा कि एनएमसीजी और एनआईयूए की शहरी नदी प्रबंधन योजना की पहल पीएम मोदी के प्रयासों का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि यूआरएमपी शहरीकरण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें स्वच्छता और सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ एकीकृत जल प्रबंधन शामिल है। कहा कि ””देवभूमि”” के रूप में जाने जाने वाले उत्तराखंड को महत्वपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने और बनाए रखने की आवश्यकता है।
एनएमसीजी के उप सचिव धीरज जोशी ने एनएमसीजी के न्यू अर्बन एजेंडा की जानकारी दी। नमामि गंगे उत्तराखंड की ओर से रोहित ज्याड़ा ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के महत्व की जानकारी दी।
बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एनएमसीजी और एनआईयूए के संयुक्त सहयोग रीवर सिटीज एलायंस (आरसीए) के तहत आयोजित किया गया है। आरसीए में वर्तमान में भारत में विभिन्न नदी बेसिनों के 115 शहर शामिल हैं।
उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, काशीपुर, नैनीताल, उत्तरकाशी, सेलाकुई और विकासनगर जैसे दस शहर आरसीए के सदस्य हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के चार अन्य शहरों को आरसीए में जोड़ा गया, जिसमे कोटद्वार नगर निगम, रामनगर नगर पालिका, मुनिकीरेती नगर पालिका और टिहरी गढ़वाल नगर पालिका शामिल हैं।