रुद्रपुर। पहाड़ों की तरह अब तराई के शक्तिफार्म और सितारगंज की बेल्ट में गोट वैली (बकरियों की घाटी) बनाने की कवायद शुरू हो गई है। पशुपालन विभाग की ओर से लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गोट वैली योजना में 100 महिलाओं को जोड़कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। शक्तिफार्म व सितारगंज के क्षेत्रों में सबसे अधिक बकरियों का पालन किया जाता है। हाईक्लोरिन और कैल्शियम युक्त बकरी के दूध व उससे बने अन्य खाद्य पदार्थों को वैश्विक बाजार में उतारने के लिए गोट वैली योजना की शुरूआत की गई है। ज्यादातर लोग बकरियों के मीट के लिए उनका पालन करते हैं लेकिन अब बकरियों के मीट के साथ ही इनका दूध व उससे बने खाद्य पदार्थ को बाजार में उतारने का प्रयास किया जाएगा।
कोरोना काल के बाद लोगों में बकरियों के दूध की काफी मांग हो गई है। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने गोट मिल्क और इससे बने अन्य पदार्थों को वैश्विक बाजार में उतारने की योजना बनाई है। शक्तिफार्म व सितारगंज में ग्रामीणों को बकरी पालन से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें ऐसे लाभार्थियों का चयन किया जाएगा, जिनके पास 21 बकरियां पहले से ही मौजूद हैं। बकरियों को चारा खिलाकर उन्हें बड़ा करने के बाद ब्रिडिंग कराके लोगों को बेचने के लिए बकरियां दी जाएंगी। बकरियां बेचने के साथ ही गोट वैली में गोट मिल्क हब भी बनेगा। बकरियों का दूध एकत्र कर सरकार इसे खरीदेगी।
शक्तिफार्म व सितारगंज की बेल्ट में गोट वैली बनाने से यहां ब्रिडिंग हब भी तैयार होगा। इससे अन्य पशुपालकों को बकरियां खरीदने के लिए हरियाणा या पहाड़ों की तरफ नहीं जाना पड़ेगा। एक क्लस्टर के रूप में इसकी शुरूआत की जाएगी। गोट वैली योजना में लाभार्थियों को बकरी खरीदने के लिए ऋण व अनुदान भी दिया जाएगा। -डॉ. एसबी पांडेय, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।