मोटे अनाज की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय
अल्मोड़ा। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान और विरासत अनुसंधान पहल विभाग की दो दिनी कार्यशाला हुई। वैज्ञानिकों ने मोटे अनाज की उपयोगिता बताई। कहा कि इस पर विश्वस्तरीय शोध किए जाएंगे। उन्होंने किसानों को खाद उप-उत्पाद, डेयरी और मिठाई उद्योग बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया।
संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने कहा कि मडुआ, मक्का, सोयाबीन, झिंगोरा आदि मोटा अनाज पौष्टिकता से भरपूर है और पर्यावरण असंतुलन के बीच पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी आसानी से खेती की जा सकती है। कहा कि मोटा अनाज की खेती किसानों की तकदीर बदल सकती है। विश्व स्तर पर वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस पर शोध किए जाएंगे। इस दौरान डॉ. पवन अग्रवाल, सहायक महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. शरद श्रीवास्तव, वरिष्ठ वैज्ञानिक किरीट कुमार, डॉ. जेसी कुनियाल, डॉ. आईडी भट्ट सहित कई वैज्ञानिक मौजूद रहे।