परियोजनाओं में नियुक्त शिक्षकों को नहीं मिलेगा 65 वर्ष में सेवानिवृत्ति का लाभ
पंतनगर। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय और वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी (भरसार) विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मियों और शिक्षकों को 65 वर्ष पर सेवानिवृत्ति की अधिवर्षता आयु और सत्रांत लाभ नहीं दिए जाएंगे। इसका शासनादेश कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग के सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी ने मंगलवार को जारी किया है।
पंतनगर। सचिव ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों की प्रबंध परिषदों की ओर से आयोजित तक नान प्लान मद के गैर शैक्षणिक संवर्ग और प्लान मद (एक्रिप, नार्प व अन्य आईसीएआर की योजनाओं) के कार्मिकों को समायोजन विवि के शैक्षणिक पदों पर करते हुए उन्हें शैक्षणिक लाभ प्रदान किया जाना नियम संगत नहीं है। कहा कि कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों की प्रबंध परिषदों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनके लिए आवंटित राजकीय अनुदान के प्रकरणों पर भी अपने स्तर से निर्णय लिए जा रहे हैं। जिससे वित्तीय अनियमितताएं और विधिक विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। विवि प्रबंध परिषदों के ऐसे निर्णयों से जहां एक और राज्य सरकार पर अतिरिक्त व्यय भार बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कृषि विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक व अन्य कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। विवि ने अपने स्तर से पुस्तकालय अध्यक्ष और शारीरिक शिक्षा में कार्यरत कार्मिकों को भी शिक्षक मानकर अधिवर्षता आयु 65 वर्ष के अनुचित लाभ देते हुए भुगतान किया है। जिस पर वित्त ऑडिट प्रकोष्ठ ने आपत्ति दर्ज कराई है।
विश्वविद्यालयों को पढ़ाया पाठ
पंतनगर। सचिव ने कहा कि शासनादेश के अनुसार विवि को निर्देशित किया गया है कि पदनाम परिवर्तन/ वेतनमान परिवर्तन करने से पूर्व प्रत्येक प्रकरण पर शासन की पूर्व अनुमति लिया जाना जरूरी है। अन्यथा अनियमित कार्यों के लिए शासन की ओर से कार्योत्तर स्वीकृति नहीं दी जाएगी। विवि द्वारा अधिनियम 1958 के नियमों से हटकर लिए गए निर्णय शून्य और निष्प्रभावी हैं