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परियोजनाओं में नियुक्त शिक्षकों को नहीं मिलेगा 65 वर्ष में सेवानिवृत्ति का लाभ

पंतनगर। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय और वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी (भरसार) विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मियों और शिक्षकों को 65 वर्ष पर सेवानिवृत्ति की अधिवर्षता आयु और सत्रांत लाभ नहीं दिए जाएंगे। इसका शासनादेश कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग के सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी ने मंगलवार को जारी किया है।

शासनादेश में सचिव ने कहा है कि इस संबंध में शासन को समय-समय पर ऐसे संदर्भ मिल रहे हैं, जिनमें कुछ कार्मिकों को अधिवर्षता आयु और सत्रांत लाभ दिए जाने के लिए मार्गदर्शन मांगा जा रहा है।जबकि इस संबंध में हाईकोर्ट के 23 फरवरी को पारित आदेश के तहत इन कार्मिकों को 60 वर्ष के अधिवर्षता आयु के आधार पर अंतरिम पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। इस याचिका में पुनः 10 अप्रैल 2023 को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने पारित आदेश में कहा है कि राज्य में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन राज्य के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कक्षागत शिक्षण के अंतर्गत आने वाले शिक्षकों की अधिवर्षता आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। कृषि एवं कृषि विपणन विभाग केे भी 20 सितंबर 2013 के शासनादेश के अनुसार विवि के प्राचार्य/अधिष्ठाता और कक्षागत शिक्षण के अंतर्गत पदधारकों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने की स्वीकृति प्रदान की है। उत्तर प्रदेश कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि अधिनियम 1958 की अधिसूचना संख्या-21 के अनुसार विवि के शिक्षकों और अन्य वेतनभोगी कार्मिकों की सेवानिवृत्ति आयु ऐसी होगी, जैसी राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित की जाए। यह अधिसूचना चार सितंबर 2012 से लागू की गई है। जिससे स्पष्ट है कि विवि के शिक्षकों और अन्य वेतनभोगी कार्मिकों की सेवानिवृत्ति आयु निर्धारित किए जाने का अधिकार राज्य सरकार में ही निहित है। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि विवि की प्रबंध परिषद को उक्त अधिनियम में संशोधन के बाद सेवानिवृत्ति/अधिवर्षता आयु निर्धारण या संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है। कहा कि 14 जून 2018 के शासनादेश में पुनः स्पष्ट किया गया है कि 20.9.2013 के शासनादेश से प्राचार्य/अधिष्ठाता और कक्षागत शिक्षण आच्छादित हैं। अन्य पदधारकों की अधिवर्षता, सेवानिवृत्ति आयु सीमा को बढ़ाए जाने की वर्तमान में कोई व्यवस्था निर्धारित नहीं है।

प्रबंध परिषदों की कार्यशैली पर उठाए सवाल

पंतनगर। सचिव ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों की प्रबंध परिषदों की ओर से आयोजित तक नान प्लान मद के गैर शैक्षणिक संवर्ग और प्लान मद (एक्रिप, नार्प व अन्य आईसीएआर की योजनाओं) के कार्मिकों को समायोजन विवि के शैक्षणिक पदों पर करते हुए उन्हें शैक्षणिक लाभ प्रदान किया जाना नियम संगत नहीं है। कहा कि कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों की प्रबंध परिषदों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनके लिए आवंटित राजकीय अनुदान के प्रकरणों पर भी अपने स्तर से निर्णय लिए जा रहे हैं। जिससे वित्तीय अनियमितताएं और विधिक विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। विवि प्रबंध परिषदों के ऐसे निर्णयों से जहां एक और राज्य सरकार पर अतिरिक्त व्यय भार बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कृषि विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक व अन्य कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। विवि ने अपने स्तर से पुस्तकालय अध्यक्ष और शारीरिक शिक्षा में कार्यरत कार्मिकों को भी शिक्षक मानकर अधिवर्षता आयु 65 वर्ष के अनुचित लाभ देते हुए भुगतान किया है। जिस पर वित्त ऑडिट प्रकोष्ठ ने आपत्ति दर्ज कराई है।

विश्वविद्यालयों को पढ़ाया पाठ
पंतनगर। सचिव ने कहा कि शासनादेश के अनुसार विवि को निर्देशित किया गया है कि पदनाम परिवर्तन/ वेतनमान परिवर्तन करने से पूर्व प्रत्येक प्रकरण पर शासन की पूर्व अनुमति लिया जाना जरूरी है। अन्यथा अनियमित कार्यों के लिए शासन की ओर से कार्योत्तर स्वीकृति नहीं दी जाएगी। विवि द्वारा अधिनियम 1958 के नियमों से हटकर लिए गए निर्णय शून्य और निष्प्रभावी हैं

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