रुद्रपुर। जिले में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के करीब 50,000 उपभोक्ताओं को 10 महीने से पीवीसी कार्ड का इंतजार है। कार्ड नहीं होने के चलते उपभोक्ता ऑनलाइन पर्ची की मदद से सस्ता गल्ला दुकानों से खाद्यान्न ले रहे हैं। विभिन्न योजनाओं में आईडी संबंधी कार्य करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि पांच माह पहले कार्ड छपकर आए थे, लेकिन तमाम खामियों की वजह से 50,000 कार्ड को फर्म को वापस किया गया था। इसके चलते डीएसओ ने फर्म का भुगतान भी रोका है।
पूर्ति विभाग से इस समय जिलेभर के करीब चार लाख राशन कार्ड धारक जुड़े हैं। जिन्हें हर महीने अलग-अलग योजनाओं में खाद्यान्न मिलता है। सालाना पांच लाख तक की आय वालों को पीला, एक लाख तक की आय तक सफेद, बेहद गरीब लोगों को गुलाबी राशन कार्ड पर खाद्यान्न दिया जाता है। अब किताबनुमा कार्ड की बजाए प्लास्टिक के कार्ड दिए जा रहे हैं। विभाग ने पीवीसी राशन कार्ड बनाने का जिम्मा गुजरात की फर्म दिया है। पांच माह पहले पूर्ति विभाग पीवीसी राशन कार्ड आए थे लेकिन करीब 50,000 कार्ड में नाम, उम्र, परिवार के सदस्यों की संख्या में खामियां थीं। इसके चलते इन्हें वापस फर्म को भेजा गया। पांच माह होने के बाद भी अब तक लोगों को नए कार्ड नहीं मिल सके हैं। इनमें से अधिक खटीमा क्षेत्र के कार्डधारक हैं। नए कार्ड के लिए वे सस्ता गल्ला विक्रेता और पूर्ति विभाग के चक्कर लगा रहे हैं और उनको निराशा हाथ लग रही है। इससे लोगों को आईडी और दस्तावेज संबंधी सरकारी कार्य कराने में मुश्किल हो रही है। फिलहाल ऑनलाइन सिस्टम से ली गई पर्ची पर उपभोक्ता सस्ता गल्ला दुकानों से खाद्यान्न ले रहे हैं। संवाद
जिले में 3.50 लाख राशन कार्ड धारकों को पीवीसी कार्ड मिल चुका है। 50,000 कार्ड गलत छप गए थे और वह संशोधित होने के लिए गए हैं। जल्द ही छपकर आए कार्ड उपभोक्ताओं को वितरित किए जाएंगे। जब तक संशोधित कार्ड नहीं आते तब तक फर्म का भुगतान भी रोका गया है। – विपिन कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी, ऊधमसिंह नगर।