कमलनाथ के घोटाले वाले पोस्टर पर बीजेपी का पलटवार, जारी की कथित स्कैम की लिस्ट
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सरकार पर लगाए गए आरोपी को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने पलटवार किया है. उन्होंने कमलनाथ पर भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर आरोप लगाकर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया.
दरअसल, शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर बीजेपी की 18 साल की सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने 200 से ज्यादा कथित घोटालों की सूची जारी करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ठगराज बता दिया. उन्होंने जैसे ही आरोपों को विराम दिया, वैसे ही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर कमलनाथ को आड़े हाथों लिया.
उन्होंने कमलनाथ को ‘करप्शन नाथ’ की संज्ञा देते हुए उनके कार्यकाल में हुए कथित तमाम घोटालों को उठाया. प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार बनने के बाद गरीब कन्याओं के विवाह की योजना बंद कर दी गई. इसके अलावा किसानों को 0% राशि पर मिलने वाला ब्याज भी बंद कर दिया गया, इतना ही नहीं गरीबों के लिए चलाई जाने वाली दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना को भी बंद करने के आदेश कमलनाथ सरकार में हुए.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कमलनाथ के साल 2023 के मॉडल वाले बयान पर कहा कि कमलनाथ 1984 के देंगे के और गरीबों की योजनाएं बंद करने वाले मॉडल है. बीजेपी के आरोपी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समर्थक पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि भाजपा सरकार पर जो गंभीर और सच्चे आरोप लगे हैं उसे भाजपा नेता बौखला गए हैं.
‘877 करोड़ का सिंचाई भुगतान’
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान छह सिंचाई परियोजना पर 870 करोड़ रुपये का भुगतान कर घोटाले का आरोप लगाया है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की जांच आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की जा रही है
’63 करोड़ का मोबाइल घोटाला’
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मुताबिक कमलनाथ की सरकार में पूर्व मंत्री इमरती देवी के मना करने के बावजूद सरकार के गिरने से 15 दिन पहले 63 करोड़ का मोबाइल घोटाला किया गया. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने डिंडोरी में साल 2019 में हुए दो करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को आड़े हाथों लिया.
विष्णु दत्त शर्मा ने आरोप लगाया कि कोरोना काल में जब प्रदेश पर संकट छाया हुआ था, उस समय तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने आइफा अवॉर्ड घोटाला किया. उद्योगपतियों पर दबाव डालकर 44 करोड़ रुपये की राशि ब्रिज क्राफ्ट कंपनी को जबरन दिलवाई.