नाराज ग्रामीणों का कहना था कि तेंदुए के खौफ से रोजमर्रा की गतिविधियों पर असर पड़ने के अलावा एनएच से गुजरना भी मुश्किल हो रहा है। उन्होंने ठोस कार्रवाई नहीं होने पर बुधवार को एनएच जाम करने की चेतावनी दी। बाद में मौके पर पहुंची एसडीएम सौरभ असवाल और उप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा चौधरी ने वन्य जीव संरक्षक से बात कर ट्रेंकुलाइजर गन के उपयोग की इजाजत मिलने की जानकारी दी। इसके बाद लोगों ने बुधवार को जाम करने का फैसला वापस लिया। घेराव करने वालों में ग्राम प्रधान दीपक कुमार, जगदीश प्रसाद, जीवन चौड़ाकोटी, कमल किशोर, बीडीसी सदस्य दीपा जोशी, ओंकार बिष्ट, शंकर जोशी, प्रेम सिंह, हरीश बोहरा, राहुल, रेणु जोशी, कलावती, यशोदा आदि शामिल थीं।
आठवें मील में सोमवार शाम को तेंदुए के हमले में जख्मी पूरन रावत की सेहत में सुधार है। उनका हल्द्वानी में इलाज चल रहा है। वहीं दूसरे घायल पान सिंह (61) को मंगलवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। सूखीढांग के गजार गांव के पास के जंगल में तेंदुए के हमले में दो जुलाई को भोजन माता चंद्रावती (39) की मौत हो गई थी। इसके बाद वन विभाग ने क्षेत्र में तीन पिंजरे लगाने के अलावा तेंदुए की गतिविधियों का पता लगाने के लिए 12 कैमरे लगाने के साथ गश्त भी की। लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी।
ऐसे काम करती है ट्रेंकुलाइजर गन
चंपावत। ट्रेंकुलाइजर गन के आगे के हिस्से में इंजेक्शन में बेहोश करने वाली दवा होती है। इस गन के जरिए इंजेक्शन को दूर से तेंदुए के शरीर पर प्रवेश कराया जाता है। इंजेक्शन से तेंदुए को धीेरे-धीरे बेहोशी आती है। बेहोश होने के बाद तेंदुए को पिंजरे में डाल दूसरी जगह भेज दिया जाता है।
तेंदुए के खौफ में हैं चंपावत के कई क्षेत्र
चंपावत। जिले के कई हिस्से पिछले कुछ समय से तेंदुए के खौफ में जी रहा है। सूखीढांग के अलावा बड़ौली, बाराकोट आदि क्षेत्र में तेंदुए की दहशत मची है। चंपावत जिले में तेंदुए के हमले में तीन साल में तीन महिलाओं की मौत हुई है। जिले में 75 तेंदुए हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी नरभक्षी घोषित नहीं किया गया है।