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खराब कंप्रेशर की मोटर बदली, बेस अस्पताल में ब्लड सेपरेशन यूनिट शुरू

कोटद्वार। कंप्रेशर की मोटर बदलने के साथ ही बेस अस्पताल में ब्लड सेपरेशन यूनिट ने काम करना शुरू कर दिया है। यूनिट के शुरू होने से मरीजों को प्लेटलेट्स, आरबीसी, प्लाज्मा चढ़ाने के साथ ही शरीर का पूरा खून बदलने में मदद मिल सकेगी। इस यूनिट में प्लेटलेट्स सात दिनों तक सुरक्षित रह सकेंगे। वहीं, आरबीसी, प्लाज्मा भी 35 दिनों तक सुरक्षित रखे जा सकेंगे और जरूरत पड़ने पर मरीजों को चढ़ाए जा सकेंगे।

वर्ष 2019 में शासन ने बेस अस्पताल में ब्लड सेपरेशन यूनिट के निर्माण को मंजूरी प्रदान की। वर्ष 2020 में यूनिट का भवन बनकर तैयार हुआ। चिकित्सालय प्रशासन ने मशीनों की खरीदारी कर दिसंबर, 2020 में केंद्र से लाइसेंस के लिए आवेदन किया, लेकिन उस समय बेस अस्पताल को लाइसेंस नहीं मिल पाया था। इससे लोगों को प्लेटलेट्स, आरबीसी, प्लाज्मा चढ़ाने के साथ ही शरीर का पूरा खून बदलने के लिए बड़े शहरों में जाकर महंगे दामों में उपचार कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था। क्षेत्रीय जनता की मांग पर करीब तीन वर्ष के बाद केंद्र ने इसी माह बेस अस्पताल को लाइसेंस जारी किया, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण यूनिट का संचालन नहीं हो पा रहा था। जांच के दौरान कंप्रेसर पंप में खराबी पाई गई थी। बृहस्पतिवार को कंप्रेसर को बदल दिया गया है। अब ब्लड बैंक के स्टाफ को ब्लड सेपरेशन यूनिट के संचालन की जानकारी व प्रशिक्षण दी जा रही है।

ब्लड सेपेरशन यूनिट में डोनर के ब्लड को घुमाया (मथा) जाता है। इससे पी-आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स अलग-अलग हो जाते हैं। पृथक हुए प्लेटलेट्स, आबीसी, प्लाज्मा को डी फ्रिज व फ्रिज में रखा जा सकेगा।

ब्लड सेपरेशन यूनिट में खराब कंप्रेशर की मोटर को बृहस्पतिवार को बदल दिया गया है। पैथोलॉजी विभाग के कर्मियों की मदद से ब्लड सेपरेशन यूनिट का संचालन शुरू कर दिया गया है।

– डॉ. विजयेश भारद्वाज, प्रमुख अधीक्षक बेस अस्पताल, कोटद्वार

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