एम्स ऋषिकेश में प्राथमिक चरण में ही पकड़ में आएगा कैंसर
एम्स ऋषिकेश में प्रारंभिक चरण में ही कैंसर रोग की पहचान हो सकेगी। यहां जल्द ही पीईटी सीटी मशीन (पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी और कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी) से कैंसर रोग की जांच व उपचार हो सकेगा। उक्त अत्याधुनिक मशीन को लगाने और खरीदने की परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एटोमिक एनर्जी रेगुलेटिंग बोर्ड) मुंबई से एम्स प्रशासन को अनुमति मिल चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि आगामी मार्च तक यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। पीईटी सीटी से कैंसर के रोगियों की जांच व उपचार करने वाला एम्स उत्तराखंड का पहला सरकारी चिकित्सा संस्थान होगा।
एम्स ऋषिकेश के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ने जा रही है। संस्थान का न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग कैंसर रोग की पहचान व उपचार में काम आने वाली अत्याधुनिक मशीन पीईटी सीटी मशीन से लेस होने जा रहा है। अभी तक यहां कैंसर रोगियों की जांच के लिए एमआरआई व सीटी स्कैन का सहारा लिया जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि एमआरआई व सीटी स्कैन की जांच में 40 से 45 फीसदी मरीजों में प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता नहीं लग पाता है। पीईटी सीटी मशीन प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगाने में मदद करता है। यह मशीन एमआरआई की अपेक्षा कैंसर की जांच व पहचान जल्दी होती है। साथ ही यह मशीन उपचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
न्यूक्लियर मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. मनीषी एल नारायण ने बताया कि पहले जिन मरीजों को चौथी स्टेज का कैंसर बताकर रेफर किया जाता था, पीईटी सीटी मशीन की मदद से उनका इलाज भी संभव होगा। ऐसे मरीजों को अब चंडीगढ़ और दिल्ली के संस्थानों को रेफर नहीं करना पड़ेगा।
इस मशीन से उपचार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मशीन उपचार के दौरान केवल उसी कोशिका को टारगेट करती है, जो कैंसर से प्रभावित है। अन्य अंगों या कोशिकाओं पर यह कोई प्रभाव नहीं डालती है। जिससे इसके दुष्परिणाम नहीं होते हैं। जबकि कैंसर के अन्य उपचार विधियों में कैंसर प्रभवित अंगों के साथ ही अन्य अंगों या कोशिकाएं उपचार के दौरान प्रभावित होती हैं।
मशीन लगाने के लिए परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड मुंबई से अनुमति मिल चुकी है। खरीद की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। संभावना है कि मार्च तक संस्थान में यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगा। – प्राे. मनीषी एल नारायण, विभागाध्यक्ष, न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग एम्स