अशोक गहलोत के खिलाफ कांग्रेस नेताओं ने खोला मोर्चा, पार्टी नेता बोले- विधायक दल की बैठक में रखेंगे अपनी बात
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस की हार के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ पार्टी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान तक संदेश पहुंचाकर गहलोत को हार का बड़ा कारण बताया है। इनका कहना है कि गहलोत ने तीस साल में हर बार आलाकमान विशेषकर गांधी परिवार का उपयोग किया, लेकिन देने की बारी आई तो उन्हें ही आंख दिखा दी। आलाकमान की इच्छा को दरकिनार कर मनमर्जी से फैसले किए। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने टोंक में कहा, हार पर मंथन होना चाहिए। मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक है उसमें सभी विषयों पर विचार होगा। पार्टी में नए चेहरों को जिम्मेदारी नहीं मिलने की वजह से हारने के सवाल पर पायलट ने कहा, मैं अपनी बात पार्टी प्लेटफार्म पर रखूंगा। जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है। उसका निर्णय अंतिम होता है
गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा के बयान को पायलट ने आश्चर्यजनक बताया और कहा कि उम्मीद है कि पार्टी कहीं न कहीं इस पर ध्यान देगी कि यह क्यों कहा गया? क्या सच है और क्या झूंठ है?सूत्रों के अनुसार, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी, गुजरात के पूर्व प्रभारी रघु शर्मा, पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा, विधायक दीपेंद्र सिह शेखावत, खिलाड़ी लाल बैरवा व जीआर खटाना सहित कई नेताओं ने गहलोत के प्रति नाराजगी जताई है।
इनमें से कुछ नेताओं ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तक संदेश पहुंचाया है कि गहलोत ने पार्टी में नया नेतृत्व तैयार नहीं होने दिया। चौधरी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आएलपी) को गहलोत की प्रायोजित पार्टी बताया है। चौधरी का मानना है कि गहलोत कांग्रेस के जिस-जिस नेता का नुकसान करना चाहते हैं, उसके खिलाफ आरएलपी को खड़ी करते रहे हैं। ये नेता आधिकारिक तौर पर तो बोलने को तैयार नहीं हैं।
लेकिन चुनाव में पार्टी की हार के दूसरे ही दिन आलाकमान तक गहलोत के प्रति नाराजगी पहुंचाई है। 10 साल तक गहलोत के विशेषाधिकारी रहे लोकेश शर्मा ने कहा कि यह कांग्रेस की नहीं, बल्कि गहलोत की हार है। उन्होंने कहा कि 25 सितंबर, 2022 को आलाकमान के खिलाफ हुआ विद्रोह गहलोत द्वारा प्रायोजित था। सोनिया गांधी के निर्देश पर सीएम बदलने को लेकर बुलाई गई विधायक दल की बैठक में विधायकों के नहीं पहुंचने को लेकर गहलोत ने ही अपने विश्वस्तों को जिम्मा सौंपा था।