राफ्ट संचालक गंगा में सैलानियों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। गंगा में तैर रही राफ्टों के साथ सेफ्टी क्याक गायब हैं। पर्यटन विभाग की ओर से इन पर निगरानी नहीं की जा रही है। अधिक मुनाफा कमाने की फेर में पर्यटक जान जोखिम में डालकर गंगा की लहरों का आनंद ले रहे हैं।
तपोवन, मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मणझूला, पूर्णानंद आदि क्षेत्रों में सैकड़ों की तादाद में राफ्टिंग व्यवसायी हैं। यह राफ्टिंग व्यवसायी शिवपुरी, मरीन ड्राइव, ब्रह्मपुरी और क्लब हाउस से पर्यटकों को राफ्टिंग कराते हैं। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मुंबई समेत कई प्रांतों के पर्यटक राफ्टिंग के लिए यहां पहुंचते हैं। नियमानुसार एक राफ्ट के साथ सुरक्षा के लिए एक सेफ्टी क्याक का होना अनिवार्य है।
सेफ्टी क्याक राफ्ट के साथ साथ चलती है। इसका संचालन इसलिए जरूरी है कि यदि गंगा की लहरों में राफ्ट अचानक पलट जाए तो सेफ्टी क्याक में बैठा गाइड भी आसानी से पर्यटकों का रेस्क्यू कर सकता है। सेफ्टी क्याक को राफ्ट के साथ भेजने पर एक चक्कर में उसका एक हजार से 15 सौ रुपये खर्चा आता है। एक राफ्ट व्यवसायी एक दिन में तीन से चार चक्कर मारता है।
लेकिन अधिक मुनाफा कमाने की फेर में वह राफ्ट के साथ सेफ्टी क्याक को नहीं भेजते हैं। पर्यटकों की ओर से दस रुपये वन विभाग और दस रुपये गंगा रीवर राफ्टिंग रोटेशन समिति को शुल्क दिया जाता है। उसके बावजूद भी पर्यटकों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं। संबंधित विभाग की ओर से राफ्ट संचालकों पर कोई निगरानी नहीं की जा रही है।
कार्यक्रमों की व्यस्तता के चलते इसकी निगरानी नहीं की जा रही है। जल्द ही टीम के साथ इस ओर चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। लापरवाही बरतने वाले राफ्ट संचालकों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। -खुशाल सिंह नेगी, साहसिक पर्यटन अधिकारी