स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) सौर ऊर्जा से अपनी जरूरत की करीब 16 फीसदी बिजली पैदा कर रहा है। जिससे 1455 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। एसआरएचयू के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि वर्ष 2007 में हिमालयन हॉस्पिटल, कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट सहित सभी हॉस्टल में सोलर वाटर हीटर पैनल लगाए गए थे। वर्ष 2017 में पहला 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल लगाया गया। जिससे करीब 61,15,332 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत की है। वर्ष 2017 से अब तक विवि कैंपस स्थित विभिन्न भवनों की छतों में 1500 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। कहा कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल से पहाड़ों के दूर गांवों में पानी पहुंचाने के लिए भी कार्य किया है। साल 2014 में टिहरी के चंबा में ग्राम चुरेड़धार में सोलर पंपिंग प्लांट के जरिये गांव में पानी पहुंचाया। इसकी मदद से 23 यूनिट बिजली रोजाना के हिसाब से गांव के करीब 43 हजार रुपये सालाना बचत हुई। 1500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल की मदद से 1455 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है।
सौर उर्जा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए उपलब्धियों के लिए एसआरएचयू को हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने विश्वविद्यालय को ग्रीन प्रैक्टिसेज अवॉर्ड की सर्विस कैटेगरी में गोल्ड अवॉर्ड से सम्मानित किया।