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100 किलोमीटर लंबी रानीताल-बिलासपुर रेलवे लाइन बिछाने के लिए ड्रोन सर्वे शुरू

हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर और बिलासपुर के लोगों को रेललाइन से जोड़ने के लिए रेलवे विभाग ने सर्वे कार्य शुरू कर दिया है। इस दौरान रेलवे ने रेल ट्रैक की जद में आने वाले करीब चार-पांच सर्किलों का ड्रोन सर्वे के अलावा अन्य फिजिबिलिटी सर्वे किया है। सर्वे के दौरान रेलवे ने बाकायदा वहां निशानदेही कर नंबर तक दर्ज किए हैं। जानकारी के अनुसार वर्ष 2024 के शुरुआत में हमीरपुर और बिलासपुर के लोगों को रेललाइन से जोड़ने के लिए रेलवे विभाग ने पहल शुरू की है।

इसके लिए उत्तर रेलवे ने ट्रैक की जद में आने वाले तीन जिलों कांगड़ा, हमीरपुर और बिलासपुर प्रशासन से कुछ डाटा मांगा था। यह सर्वे रानीताल (कांगड़ा) से बिलासपुर वाया हमीरपुर के बीच 100 किलोमीटर लंबी रेललाइन बिछाने के लिए प्रस्तावित था। इसी कड़ी में अब रेलवे ने सर्वे कार्य शुरू कर दिया है। इसके तहत कई स्थानों का ड्रोन के माध्यम से सर्वे किया जा चुका है। वहीं जिन-जिन क्षेत्रों का सर्वे हुआ है और रेललाइन की संभावनाएं तलाशी गई हैं, उन क्षेत्रों में विभाग ने निशानदेही भी की है।

100 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक में 11 रेलवे स्टेशन होंगे। इनमें पहला प्रस्तावित स्टेशन बालू ग्लोआ (10 किमी), ज्वालामुखी (17 किमी), नादौन (26 किमी), जटियाला (37 किमी), हारखालसा (45 किमी), हमीरपुर (50 किमी), भोटा (60 किमी), जरल (69 किमी), बभेली (78 किमी), पनोल (86 किमी) और बिलासपुर (100 किमी) की दूरी पर प्रस्तावित हैं।

मार्च में जरूरी संसाधनों से डाटा एकत्रित कर इस रेललाइन की तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता को जांचने के निर्देश दिए थे। इसमें पूछा था कि संबंधित रेलवे ट्रैक के तहत कितने नगर, कस्बे और जिले आएंगे, प्रस्तावित ट्रैक के तहत वर्तमान में यातायात के साधन और किराया और दूरी कितनी है। जिले, नगर और कस्बे के अंतर्गत जनसंख्या, कृषि उत्पादन, औद्योगिक इकाइयां, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल व हर साल कितने पर्यटक पहुंचते हैं, नमक और अन्य खनिज पदार्थों की जानकारी, संबंधित क्षेत्रों में लोगों का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रहन-सहन का स्तर किस तरह का है, के बारे में जानकारी मांगी थी।

रेलवे विभाग ने मार्च में जिला प्रशासन से कुछ जानकारियां मांगीं थीं, जो मुहैया करवा दी गई हैं। रेलवे विभाग की ओर से किए जाने वाले सर्वे की अभी तक कोई सूचना नहीं है। – डॉ. निपुण जिंदल, जिलाधीश, कांगड़ा

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