दुनिया के रहस्यों को खोलने की कुंजी है गणित : डॉ. वार्ष्णेय
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर के गणित विभाग की ओर से सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें गणित के विकास में भारत का योगदान विषय पर व्याख्यान हुआ। मंगलवार को गणित विभागाध्यक्ष और सेमिनार की संयोजक प्रो. अनीता तोमर ने कहा कि रामानुजन की जीवन कहानी किसी व्यक्ति की जन्मजात प्रतिभा, दृढ़ता और सामाजिक बाधाओं को पार करने की क्षमता का प्रमाण है। गणित में उनका योगदान अद्वितीय है। उनकी विरासत दुनिया भर के विद्वानों और उत्साही लोगों को प्रेरित करती रहती है। गणित सिर्फ एक विषय नहीं है। यह यूनिवर्स को नियंत्रित करने वाले पैटर्न और संरचनाओं को समझने में मदद करने वाली भाषा है। गणित हमारी दुनिया के रहस्यों को खोलने की कुंजी है। डॉ. गौरव वार्ष्णेय ने कहा कि मनुष्य ने अपनी प्रकृति को समझते हुए गणित का विकास किया। अपने दैनिक जीवन की समस्याओं को हल करने में गणित का उपयोग किया। भारत में गणित की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता के समय हुई थी। इस अवधि में भारतीयों ने संख्याओं के लिए एक प्रणाली विकसित की थी जो दशमलव प्रणाली पर आधारित थी। उन्होंने ज्यामिति और त्रिकोणमिति के मूल सिद्धांतों को भी विकसित किया। डॉ. शिवांगी उपाध्याय ने विभिन्न क्षेत्रों में गणित के अंतर्गत किए जा रहे शोध कार्यों की जानकारी देते हुए भारतीय गणितज्ञों के योगदान के विषय में जानकारी दी।
सेमिनार में शोधार्थी शिवानी रावत ने आर्यभट्ट, सजल पाल ने ब्रह्मगुप्त, मोनिका ने भाष्कराचार्य, नितिन गुप्ता ने श्रीनिवास रामानुजन, मनीष मेहरा, लकी शर्मा ने शकुंतला देवी, साक्षी ने पीसी महालनोबिस, हर्षिता अग्रवाल ने रमन परमल आदि भारतीय गणितज्ञों के योगदान पर विस्तृत जानकारी दी। इस मौके पर कुलपति प्रो. एनके जोशी, निदेशक प्रो. एमएस रावत, प्रो. जीके ढींगरा, प्रो. कंचन लता सिन्हा आदि शामिल रहे