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उत्तराखंड पर लगी पाबंदी तो 350 में से 175 बसें ही जा सकेंगी दिल्ली, देहरादून रीजन पर पड़ेगा प्रभाव

एक जनवरी 2024 से दिल्ली में बीएस-6 श्रेणी के अलावा सभी तरह की बसों के संचालन पर रोक लगने जा रही है। यह रोक सभी राज्यों से आने वाली बसों पर लागू होगी, उत्तराखंड परिवहन निगम का कहना है कि उनकी बसों पर यह रोक लागू नहीं होगी।

उत्तराखंड के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कोई आदेश जारी नहीं किए हैं। बावजूद इसके अगर नए वर्ष से उत्तराखंड की बसों पर रोक लगी तो यहां से दिल्ली को जाने वाली 350 बसों का बेड़ा आधा रह जाएगा। बेड़े में शामिल करीब 175 बसें ही बीएस-6 हैं, जो दिल्ली जा सकेंगी, शेष बीएस-3, बीएस-4 बसों को दिल्ली में एंट्री नहीं मिल सकेगी। गौरतलब है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण गहराता जा रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग लगातार प्रयास कर रहा है। पिछले एक साल में तीन बार बैठक कर यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में केवल बीएस-6, सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसें ही चल सकेंगी।

अन्य सभी डीजल बसों का संचालन रोक दिया जाएगा। बीएस-3 या बीएस-4 श्रेणी की बसों को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रवेश नहीं मिलेगा। यह पाबंदी एक जनवरी से पूरी तरह लागू होनी है। इससे पूर्व 26 दिसंबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की बैठक फिर से होगी, इसमें पाबंदियों पर अंतिम मुहर लगेगी।  परिवहन निगम के मंडलीय प्रबंधक संजय गुप्ता ने बताया कि उत्तराखंड की बसों की दिल्ली में एंट्री रोके जाने को लेकर अभी कोई आदेश वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से प्राप्त नहीं हुआ है। अक्तूबर माह में परिवहन निगम को प्राप्त पत्र में बताया गया था कि उप्र, हरियाणा और राजस्थान की बीएस6, इलेक्टि्रव व सीएनजी बसों को ही दिल्ली में एंट्री मिलेगी, उत्तराखंड के लिए कोई निर्देश नहीं जारी किए गए थे। लेकिन जून से उत्तराखंड की बसों पर जून से पाबंदी लग जाएगी।
उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम की कुल 350 बसें दिल्ली जाती हैं, रोक के बाद मात्र 175 बीएस-6 बसें ही दिल्ली जा सकेंगी। दून रीजन की 200 बसें दिल्ली के लिए जाती हैं, इसमें मात्र 100 बसें बीएस-6 हैं। दिल्ली में रोक का बड़ा असर उत्तराखंड खासकर दून रीजन पर पड़ेगा। इससे यात्री सेवाएं प्रभावित होंगी।
यह मान भी लिया जाए कि जून से ही उत्तराखंड की बसों पर पाबंदी लगेगी तो भी परिवहन निगम के लिए 175 बीएस-6 बसों का इंतजाम करना आसान नहीं है। पहले ही बेड़े में करीब 30 प्रतिशत बसों का अनुबंध पूरा हो चुका है। नई सरकारी बसों की खरीद नहीं की जा रही है, ऐसे में जल्द 175 बसों का इंतजाम रोडवेज को करना होगा।

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