Sun. Apr 27th, 2025

स्वाद की दुनिया में ‘रमाड़ी के संतरे’ की धूम, रंग लाई किसानों की मेहनत, दिल्ली तक होगी ब्रिकी

जिले का प्रसिद्ध संतरा जिसकी धूम देश की राजधानी दिल्ली तक हुआ करती थी, एक बार फिर लोगों को रसीला स्वाद देगा। रमाड़ी के उद्यमियों की मेहनत रंग लाई है। रमाड़ी में विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे संतरा को नई जिंदगी मिल गई है। संतरा के बागान फिर फलों से लकदक हो गए हैं।

रमाड़ी का संतरा जिले, कुमाऊं, राज्य ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली तक लोगों की पसंद था। संतरा खरीदने के लिए हल्द्वानी से व्यापारी रमाड़ी गांव पहुंचते थे। दिल्ली तक रमाड़ी का संतरा भेजा जाता था। रमाड़ी का संतरा बागेश्वर ही नहीं पिथौरागढ़ जिले के नाचनी, थल इलाके में बेचा जाता था।

करीब डेढ़ दशक पहले रमाड़ी के संतरे पर संकट के बादल मंडराए। एक के बाद एक पड़े सूखने लगे। धीरे-धीरे रमाड़ी का यह प्रसिद्ध संतरा समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया। आठ हजार पेड़ों में  से केवल 800 पेड़ रह गए थे।
विभागीय सहयोग भी मिला। आज मेहनत रंग लाई है। नए पौधों ने फल देना शुरू कर दिया है। संतरा के बाग फिर से फलों से लकदक हो गए हैं। रमाड़ी के 128 परिवारों के चेहरे पर संतरा की मिठास फिर खुशी ले आई है।

संतरा के नए पेड़ फल देने लगे हैं। पुराने पेड़ों में से कुछ पेड़ फिर से फल देने लगे हैं। इस बार संतरा में अच्छा फल था। स्थानीय बाजारों में 80 रुपये किलो संतरा बिका। लोग घर से भी संतरा खरीदकर ले गए। एक पेड़ से करीब 4000 रुपये की कमाई हुई। कुछ नए पौधे अगले साल तक फल देने लगेंगे। रमाड़ी के संतरे को पुनर्जीवन देने में अमर उजाला का अहम योगदान रहा है। – बलवंत सिंह कार्की प्रमुख फल उत्पादक रमाड़ी

रमाड़ी के संतरा को पुनर्जीवन देने के लिए विभाग ने अहम कदम उठाए। मिट्टी का परीक्षण कराया। फल उत्पादकों को संतरा के पेड़ों को खाद, पानी देने की विधि बताई। सूखे पेड़ों की कटिंग कर फिर से फल देने लायक बनाया। हर साल फल तोड़ने के बाद पेड़ों को नियमित रूप से गोबर की खाद और पानी दिया जाना चाहिए। रमाड़ी के संतरा उत्पादकों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी। -आरके सिंह, जिला उद्यान अधिकारी बागेश्वर   

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