Wed. Apr 30th, 2025

जिला पंचायत : बोर्ड बैठक में 45 करोड़ से अधिक के बजट पर लगी मुहर

दून जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में 45 करोड़ से अधिक के अनुमानित बजट पर मुहर लग गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य वित्त से 37.4 करोड़ और जिला निधि से सात करोड़ से अधिक का बजट खर्च होगा। बैठक में जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी नहीं पहुंचे थे जिस पर कई सदस्यों ने नाराजगी जताई। साथ ही लोनिवि की सड़कों की निर्माण गुणवत्ता और सरकारी अस्पतालों में इलाज पर सवाल खड़े किए। शुक्रवार को जिला पंचायत सभागार में सुबह 11 बजे से जिपं अध्यक्ष मधु चौहान की अध्यक्षता में बोर्ड बैठक शुरू हुई। इस दौरान पंचायत सदस्यों ने सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, नलकूप, आवारा पशु, बिजली, कूड़ा प्रबंधन, पीएम आवास और स्कूलों की जर्जर हालत पर कई सवाल उठाए। विभागीय अधिकारियों ने पंचायत सदस्यों की ओर से उठाए गई समस्याओं के जल्द समाधान का आश्वासन दिया। बैठक में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 45,26,46,757 रुपये अनुमानित बजट ध्वनिमत से पारित हो गया।

बोर्ड बैठक में जिला विकास विभाग की ओर से मनरेगा योजना के तहत होने वाले कार्यो पर विस्तार से चर्चा की। वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में मनरेगा के तहत 16,068 कार्य योजनाओं के लिए लागत श्रमांश व सामग्री के लिए 43,942.54 लाख के बजट के अनुमोदन पर मोहन लगाई गई।

बोर्ड बैठक में जिले के अधिकांश विभागों के आला अधिकारी मौजूद रहे। लेकिन, लोनिवि, पेयजल, पशुपालन, वन और कृषि विभाग पर जिपं सदस्यों ने ज्यादा नाराजगी दिखाई। कुछ सदस्यों ने कहा, पेयजल योजना में कहीं पर भी पाइपलाइन डालने के नाम पर सड़कों को तोड़ दिया जा रहा है। साथ ही कई स्थानों पर लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी पीने के लिए प्रर्याप्त पानी नहीं पहुंच रहा। जल निगम, जल संस्थान और पेयजल मिशन समस्या को हल करने की बजाय एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल दे रहे हैं। पंचायत सदस्यों ने आवारा पशुओं से हो रही फसलों की बर्बादी का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया। जिस पर पशुपालन विभाग ने जल्द ब्लॉक स्तर पर गोसदन बनाने की बात कही।

पंचायत सदस्यों ने कहा कि जिले में दो दर्जन से अधिक प्राथमिक स्कूलों की इमारतें जर्जर हालत में हैं। ऐसे में इनमें जान-माल का हर समय भय बना रहता है। साथ ही 25 स्कूलों में बड़े पेड़ हैं जिनकी आयु काफी हो चुकी है। ये किसी भी आंधी-तूफान में गिर सकते हैं जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है। इस पर शिक्षा विभाग ने बताया कि वर्ष 1966 से पूर्व के ही स्कूलों का ही नवनिर्माण किया जा रहा है। जबकि, पेड़ काटने के लिए वन विभाग एनओसी नहीं दे रहा है। इस पर जिपं अध्यक्ष ने वन विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए जांच कर जल्द एनओसी देने के निर्देश दिए। ग्रामीण क्षेत्रों में पीएचसी और सीएचसी में पर्याप्त स्टाफ न होने से इलाज में परेशानी का सवाल भी उठाया

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