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देहरादून-मसूरी रोड के सालों पुराने भूस्खलन जोन का उपचार शुरू, बजट के चक्कर में लटका हुआ था काम

मसूरी। आखिरकार वह घड़ी भी आ ही गई, जब देहरादून-मसूरी रोड पर गलोगी पावर हाउस के पास के भूस्खलन जोन का उपचार शुरू कर दिया गया है। सोमवार को काबीना मंत्री व मसूरी क्षेत्र के विधायक गणेश जोशी ने भूमि पूजन के साथ कार्य को आरंभ करवाया। यह भूस्खलन जोन न सिर्फ अतिसंवेदनशील था, बल्कि लोग सालों से इसके निराकरण की बाट जोह रहे थे। मसूरी रोड पर भारी भूस्खलन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो सितंबर, 2021 को भूस्खलन जोन का निरीक्षण किया था। तब उन्होंने इसके उपचार के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश लोनिवि को दिए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद लोनिवि निर्माण खंड ने तत्काल उपचार की डीपीआर तो तैयार कार्रवाई, लेकिन वह भारीभरकम बजट के चलते लंबे समय तक लटकती रही। यह डीपीआर 29 करोड़ रुपये की थी। भूस्खलन जोन के उपचार की डीपीआर का परीक्षण इस आशय के साथ आइआइटी के विशेषज्ञों से भी कराया गया कि बजट में कुछ कमी लाई जा सके।

हालांकि, बजट को उपयुक्त बताए जाने के बाद भी शासन सहमत नहीं दिखा और अपर सचिव लोनिवि विनीत कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दो बार स्थलीय निरीक्षण किया गया। इसमें भी बजट 29 करोड़ से 24 करोड़ के आसपास तक ही कम हो पाया। बजट के लिए एसडीएमएफ (स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट फंड) से भी सहयोग मांगा गया।

अब इस दिशा में जारी किए गए टेंडर और गठित अनुबंध के मुताबिक भूस्खलन जोन का उपचार 21.75 करोड़ रुपये में किया जा रहा है। काबीना मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि परियोजना पूर्ण करने की अवधि छह माह तय की गई है, लेकिन मानसून सीजन से पहले इसे पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। इस अवसर पर भाजपा मंडल अध्यक्ष राकेश रावत, पूर्व मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, उपाध्यक्ष अरविंद सेमवाल, संदीप साहनी, संजय अग्रवाल, जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीपक पुंडीर आदि उपस्थित रहे।

लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता जितेंद्र त्रिपाठी के मुताबिक मसूरी रोड पर जिस पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा है, वहां के पहाड़ बेहद कमजोर है। इस जोन में फ्रैक्चर्ड राक होने की बात कही गई। साथ ही अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ी को सुदृढ करने के लिए एंकरिंग (पहाड़ी को एंकरिंग तकनीक से भीतर तक कसना) की जाएगी।

बताया गया कि सड़क के ऊपरी भाग पर जरूरत के मुताबिक 18 से 30 मीटर गहराई में एंकरिंग की जाएगी। वहीं, निचले भाग पर आठ मीटर के करीब गहराई में एंकरिंग से काम हो जाएगा। साथ ही पहाड़ी के ढाल में सुधार लाने के अलावा हाई टेंसाइल वायर मेस, सोइल नेलिंग, इरोजन कंट्रोल जियोटेक्स्टाइल ब्लैंकेट के कार्यों के साथ ही उचित ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया जाएगा।

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