न तो शीशमबाड़ा में डंप कूड़े का निस्तारण कर पा रहा है और न डोर-टु-डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था को मजबूत कर पा रहा है। जबकि डोर-टु-डोर कूड़ा उठान पर निगम हर माह लाखों रुपये खर्च कर रहा है। तीन-तीन कंपनियां कूड़ा उठान में लगाई गई हैं। उनकी मॉनिटरिंग के लिए भी दो कंपनियां रखी हुई हैं। लेकिन, इन सबके बाद भी किसी वार्ड में बीस प्रतिशत को किसी में पचास प्रतिशत ही कूड़ा उठान हो रहा है। साथ ही कूड़ा अलग-अलग देने की बात की जाए तो मात्र दस प्रतिशत ही दून में कूड़े का पृथकीकरण हो रहा है। इसलिए तो पिछले बार की तरह ही इस बार भी नगर निगम को कचरामुक्त शहर की श्रेणी में मात्र तीन स्टार मिले हैं। देहरादून को स्वच्छ बनाने में लोगों को भी अपना योगदान देना होगा। लोगों को अपना घर का कूड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय निगम के कूड़ा वाहनों में ही डालना होगा। इसके अलावा सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग कर देने की आदत डालनी होगी। जब तक लोग अपनी आदतों में इन दोनों बातों को शुमार नहीं करते, तब तक दून को इंदौर जैसे स्वच्छ शहर की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता।
डोर-टु-डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए पर्याप्त संसाधन जुटाए जा रहे हैं। अब रोज कंपनियों की मॉनिटरिंग की जा रही है। इसकी जिम्मेदारी सहायक नगर आयुक्त को सौंपी गई है जो नियमित रूप से रिपोर्ट दे रहे हैं। जनता से भी अपील है कि वह अपना कूड़ा निगम के वाहनों में डालें और सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग दें। तभी दून को देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल किया जा सकेगा। – गौरव कुमार, नगर आयुक्तI