बिन बर्फ विरान हैं उत्तराखंड की ये चोटियां, पिछले साल बिछी थी सफेद चादर; मायूस हैं कारोबारी
त्यूणी। दिसंबर से जनवरी माह के बीच बर्फ से ढकी रहने वाली जौनसार बावर की ऊंची चोटियां इस बार विरान है। मौसम में आए परिवर्तन के चलते क्षेत्र के बड़े बुजुर्ग भी हैरान है। उन्होंने सूखे की ऐसी स्थिति इससे पहले कभी नहीं देखी। सूखा पड़ने से पहाड़ में खेती-बागवानी चौपट हो गई।
इस बार मौसम में आए बदलाव से किसान, बागवान, पशुपालक, होटल व्यवसायी व आमजन सभी परेशान है। दिसंबर से जनवरी के बीच हमेशा बर्फ से ढकी रहने वाली जौनसार-बावर की ऊंची चोटियां सुखी एवं खाली पड़ी है। जिसका विपरीत प्रभाव पहाड़ में वर्षा पर निर्भर खेती-बागवानी एवं पर्यटन व्यवसाय पर पड़ रहा है।
जनवरी में बर्फबारी देखने को जौनसार के लोखंडी, जाड़ी, कनासर, देववन, बुधेर, मोइला टाप, जुबडधार, नागथात, धारनाधार, कथियान, मुंडाली व चकराता समेत आसपास के कई रमणीक एवं पर्यटन स्थल में सैलानियों की काफी भीड़ उमड़ती थी। इस बार मौसम की बेरुखी से क्षेत्र के पर्यटन स्थलों में सन्नाटा पसर गया। सीजन में पर्यटकों की आवाजाही से हमेशा गुलजार रहने वाली जौनसार की ऊंची चोटियां इस बार बिना बर्फ के विरान हैं।
स्थानीय होटल व्यवसायी एवं होमस्टे संचालक रोहन राणा, रमेश चौहान, शूरवीर सिंह व पंकज चौहान आदि ने कहा ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि क्षेत्र की ऊंची चोटियां जनवरी में बिना बर्फ के खाली पड़ी है। लोहारी निवासी 85 वर्षीय रतन सिंह चौहान, 80 वर्षीय बहादुर सिंह राणा व 72 वर्षीय कुंभ देवी ने कहा कि इस बार क्षेत्र की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी नहीं होने से वीरानी छा गई।
जनवरी में माघ-मरोज त्योहार में पहाड़ के ऊंचे इलाकों में बसे लोग बर्फ पिघलाकर पानी पीते थे। जल स्रोत व पाइप लाइन में पानी जमने से ग्रामीणों को बर्फ पिघलानी पड़ती थी। बड़े बुजुर्गों की माने तो जीवन में हर मौसम का विशेष प्रभाव रहता है। इस बार मौसम की बेरुखी से ग्रामीणों को चिंता सताने लगी है। क्षेत्र में वर्षा पर निर्भर खेती-बागवानी पूरी तरह चौपट हो गई।
सूखे से क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों में पेयजल संकट गहराने के साथ पशुचारे की भी समस्या खड़ी हो जाएगी। सूखे की मार से बेहाल किसानों को खेती-बागवानी के कामकाज में आई लागत निकलना भी मुश्किल हो गया।
ग्रामीणों ने कहा जनवरी में चकराता-लोखंडी-त्यूणी हाईवे और दारागाड़-कथियान-ओवरासेर मार्ग पर सड़क के दोनों और बर्फ की मोटी परत जमी रहती थी। इसके अलावा आसपास की ऊंची चोटियां पहाड़ के मनमोहक एवं प्राकृतिक नजारे की खूबसूरती पर चार चांद लगाती थी। बर्फ की जगह अब इन मार्गों पर धूल के गुब्बार उड़ रहे हैं।
सूखे के कारण जंगलों में लगी आग से हर तरफ धुंआ नजर आ रहा है। मौसम परिवर्तन के चलते लोगों को आने वाले समय में बड़ी समस्या होगी। पहाड़ में प्रभावित खेती-बागवानी एवं पर्यटन व्यवसाय को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।