कौन हैं सौरभ कुमार? जिन्हें टीम इंडिया में मिला मौका, गेंदबाजी का नहीं तोड़, साथी कहते थे शेनवॉर्न
बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार बड़ौत में अपने साथियों के बीच शेन वॉर्न नाम से प्रसिद्ध थे। जब वह रेलवे स्टेशन पार छक्के मारते थे तो लोग उन्हें धोनी कहते थे। फिलहाल सौरभ का परिवार गाजियाबाद के राजनगर में रह रहा है। सौरभ दो भाई और एक बहन हैं। बड़ा भाई गौरव एयरफोर्स में कार्यरत है। मां ऊषा गृहणी हैं। सौरभ का परिवार 2004 में बुढ़ाना क्षेत्र के गांव बिटावदा को छोड़कर बड़ौत के आजाद नगर में रहने लगा। 2006 में परिवार मेरठ में शिफ्ट हो गया। काफी समय तक सौरभ ने बड़ौत, बागपत में ही क्रिकेट खेला है।
उनके चयन के बाद मेरठ, मुजफ्फरनगर के अलावा बागपत के बड़ौत में भी खुशी का माहौल है। वह बाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी करते हैं और लेफ्ट हैंड बल्लेबाज हैं। बड़ौत के शहीद शाहमल क्रिकेट एकेडमी के कोच प्रतीक तोमर ने बताया कि जब सौरभ खेलता था, तो दूरदराज से क्रिकेट खिलाड़ी व दर्शक जुट जाते थे। सौरभ की बल्लेबाजी व गेंदबाजी का कोई तोड़ नहीं है 30 साल के बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार पहले भी भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं, इस बार उनके डेब्यू की संभावना है। वह 68 फर्स्ट क्लास मैचों में 290 विकेट ले चुके हैं। 64 रन देकर आठ विकेट उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी रही है। इसके अलावा वह 27.11 की औसत से 2061 रन भी बना चुके हैं। 133 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा है। वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दो शतक और 12 अर्धशतक लगा चुके हैं। 2022 में बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार ने अभी तीन दिन पहले ही भारत ए की ओर से बांग्लादेश ए के खिलाफ छह विकेट झटके थे। इस शानदार प्रदर्शन की मदद से भारत ए ने दूसरे और आखिरी टेस्ट मैच में बांग्लादेश ए को पारी और 123 रन से हरा दिया। अंडर-16 और अंडर-17 के बाद सौरभ अंडर-19 टीम में भी शामिल हो गए, लेकिन सीनियर टीम का रास्ता कठिन था। उस समय यूपी की टीम में पीयूष चावला, अली मुर्तजा समेत कई स्पिनर थे। कुलदीप यादव और सौरभ कश्यप भी लाइन में थे। बाद में चयनकर्ताओं ने उन्हें अंडर-23 में शामिल किया। इसके बाद उन्हें सीनियर टीम में शामिल कर लिया गया। उन्होंने अपने घरेलू टीम के लिए पहले प्रथम श्रेणी मैच में गुजरात के खिलाफ 10 विकेट लिए।