एम्स ऋषिकेश को आज 20 साल पूरे हो गए हैं। एक फरवरी 2004 के दिन तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुषमा स्वराज ने एम्स की नींव रखी थी। हालांकि, भवन निर्माण पूर्ण होने के बाद 27 मई 2013 से एम्स में ओपीडी सुविधा शुरू हुई। अपने 10 साल के सफर में एम्स ने 46 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई हैं। वर्तमान में एम्स में प्रतिदिन 2500 से 3000 ओपीडी होती हैं। संस्थान की निदेशक प्रो. (डाॅ.) मीनू सिंह ने बताया कि हर जरूरतमंद का बेहतर इलाज करना एम्स की प्राथमिकता है। वर्ष 2019 में शुरू हुई ’आयुष्मान भारत’ योजना के तहत 30 दिसंबर 2023 तक एक लाख 20 हजार 819 लोगों का इलाज किया जा चुका है। इनमें 83 हजार 490 मरीज उत्तराखंड के निवासी हैं। बताया कि शुरुआत में एम्स में दो-तीन ऑपरेशन थियेटर ही थे, लेकिन वर्तमान में 54 ऑपरेशन थियेटर हैं। नए थियेटरों के स्थापित होने से एक ही समय में कई मरीजों की सर्जरी की जाती हैं। 300 बेड से शुरू होने वाला अस्पताल वर्तमान 960 बेड का बन चुका है। ट्राॅमा सेंटर के निकट 42 बेड का चाइल्ड इमरजेंसी वार्ड बनकर तैयार है। 150 बेड क्षमता का क्रिटिकल केयर अस्पताल भवन निर्माणाधीन है। कुमाऊं के ऊधमसिंहनगर के किच्छा में 300 बेड के सुपर स्पेशलिटी सेंटर का कार्य शुरू हो चुका है। एम्स में किडनी और कार्निया की प्रत्यारोपण सुविधा है। हाल में ही लिवर ट्रांसप्लांट की अनुमति भी मिल चुकी है। अब यहां जल्द लिवर ट्रांसप्लांट हो सकेंगे। भविष्य में हेली एंबुलेंस और ड्रोन मेडिकल सेवा भी उपलब्ध होगी। ड्रोन मेडिकल सेवा का शुभारंभ इसी माह होगा। जिससे पहाड़ी स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित रूप से दवाइयां भेजी जाएंगी। हेली एंबुलेंस सेवा शुरू करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। 33 विभागों की ओपीडी सहित वर्तमान में 100 से अधिक दोपहर बाद क्लीनिक संचालित हैं। इन क्लीनिक में लंग कैंसर, अस्थमा, कार्डिक इलैक्ट्रोफिजियोलाॅजी, एआरटी, पीडियाट्रिक डेर्मोटोेलाॅजी, सीओपीडी, काॅर्निया, काॅस्मेटिक, फीवर, ग्लूकोमा, हार्ट फीलियर, ज्वाइंट रिप्लेसमेन्ट, स्पेशल इमरजेंसी मेडिसिन, स्पोर्ट्स इन्जूरी, स्लिप डिसऑर्डर और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभागों के क्लीनिक शामिल हैं।
राज्य सरकार की ओर से 200 एकड़ भूमि एम्स को दी जानी प्रस्तावित है। भूमि मिलने पर उन्नत बाल चिकित्सा केन्द्र, कैंसर, कार्डियक, न्यूरोलाॅजी, हार्ट एवं लंग्स, ट्रांसप्लांट, सिमुलेशन सेंटर, फार्मेसी इंस्टीट्यूट, पैरामेडिकल साइसेंस इंस्टीट्यूट, दंत चिकित्सा महाविद्यालय, एकेडमिक और प्रशासनिक ब्लाॅक विकसित किए जाएंगे। – प्रो. मीनू सिंह, निदेशक एम्स