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रोजगार के साथ ही ग्रामसभाओं की आय का जरिया बन रही लैमनग्रास

लैमनग्राम कई ग्रामसभाओं के लिए रोजगार के साथ ही आय का जरिया बन रही है। मनरेगा योजना के तहत ग्रामसभाएं बंजर भूमि पर संगंध पौधा केंद्र सेलाकुई के सहयोग से लैमनग्राम की खेती कर रही हैं। इसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे हैं। इसकी खेती से जहां स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को गांव में ही 100 दिन का रोजगार मिल रहा है, वहीं ग्रामसभाओं की आय भी होने लगी है। वर्तमान में विकासनगर और सहसपुर विकासखंड के करीब एक हजार बीघा में लैमनग्राम की खेती की जा रही है। केदारावाला की महिला प्रधान तब्बसुम इमरान का कहना है कि गांव की करीब 100 बीघा बंजर भूमि पर लैमनग्राम की खेती की जा रही है। इससे करीब 60 महिलाएं जुड़ी हैं। इससे ग्रामसभा को भी आय होने लगी है। दुधई गांव के युवा प्रधान धीरज रावत का कहना है कि करीब 300 बीघा भूमि पर लैमनग्राम की खेती हो रही है। करीब 50 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। उन्होंंने बताया कि लैमनग्राम की खेती करना आसान है। महिलाएं इस कार्य को आसानी से कर लेती हैं। सालभर में ग्रामसभा को भी 25-30 हजार की आय होने लगी है।
विकासनगर विकासखंड के बड़वा, मटोगी, भलेर, तौलीर भूड़ और सहसपुर विकासखंड के मिसरास पट्टी, कोटड़ा कल्याणपुर, राजावाला-भाऊवाला गांव में भी लैमनग्राम की खेती की जा रही है। कालसी विकासखंड के आष्टा, बौसान, खमरौली आदि गांवों में भी लैमनग्राम की खेती की शुरुआत हुई है।
संगंध पौधा केंद्र सेलाकुई के मास्टर ट्रेनर राजेंद्र चौहान ने बताया कि सालभर में लैमनग्रास की दो से तीन बार कटाई होती है। एक बीघा से करीब 16 किग्रा तेल निकल जाता है। इसका सरकारी रेट 1150 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया गया है। खुले बाजार में तेल 1400-1500 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से आसानी से बिक जाती है।
मनरेगा योजना में लैमनग्रास की खेती का भी प्राविधान किया गया है। जो भी ग्रामसभाएं इसकी खेती कर रही हैं, वहां रोजगार के साथ ही ग्रामसभाओं के लिए आय का एक जरिया भी विकसित हुआ है।

विद्यादत्त सोमनाल, जिला पंचायत राज अधिकारी

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