आखिर देश में क्यों आ रहे हैं इतने भूकंप, सबसे पहले मानवीय हानि कम करने के गंभीर प्रयासों की जरूरत
भू-वैज्ञानिक मानते हैं कि भारतीय प्रायद्वीप के यूरेशियन प्लेट से टकराने के फलस्वरूप धरती हिलती-डुलती है और भूकंप आते हैं। इसके अलावा धरती के भीतर की ऊर्जा के दबाव से भी भूकंपन होता है। लेकिन इसके प्रभाव-क्षेत्र में इंसानी बसाहट होने से परिणाम दुखद होते हैं। ऐसे में, इस संबंध में किए जाने वाले शोधों के लिहाज से यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि भूकंपन की आवृत्ति कितनी है? उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 के 365 दिनों में से 34 दिन देश में कहीं-न-कहीं भूकंप की घटनाएं होती रही हैं। यहां तक कि पिछले वर्ष का पहला व अंतिम दिन भी भूकंप से प्रभावित रहा है।
इसी दिन नेपाल में भी शाम को चार से पांच तीव्रता के झटके आने से कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए एवं 10 लोग घायल हुए। गुजरात के कच्छ एवं राजकोट में 30 जनवरी एवं दो फरवरी को 4.3 तीव्रता के झटके आए, परंतु कोई हानि नहीं हुई। मणिपुर के उखरूल व विष्णुपुर में चार फरवरी व 16 अप्रैल को हल्के झटके दर्ज किए गए।
छत्तीसगढ़ के गौरला-पेंड्रा-मरवाही और कोरबा जिले के गांवों में 13 अगस्त की रात एवं सरगुजा तथा अनूपपुर में 28 अगस्त को भूकंप आया। कलबुर्गी (कर्नाटक), जोरहाट (असम), बीकानेर (राजस्थान), बिजनौर व अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में क्रमशः 18 जनवरी, 18 मार्च, 25 मार्च, तीन अप्रैल व पांच नवंबर को हल्के झटके आए।
हिमालयी क्षेत्र एवं दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते भूकंपों के संदर्भ में भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि छोटे-छोटे कंपनों से भूगर्भीय ऊर्जा निकल जाती है एवं बड़े भूकंप का खतरा कम हो जाता है। हिमालय के नीचे स्थित ‘यूरेशियन प्लेट’ के ‘इंडियन प्लेट’ से टकराने से 200 किलोमीटर दूर स्थित दिल्ली-एनसीआर में कुछ भ्रंश (फाल्ट) बन गए हैं, जिनके कारण इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में ज्यादा झटके आ रहे हैं।
दूसरी ओर, मध्यभाग के संदर्भ में भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां भी ‘टेक्टोनिक प्लेट्स’ में हो रही हलचल से झटके आ रहे हैं। खंडवा एवं नर्मदा नदी से जुड़े जिले ज्यादा संवेदनशील बताए गए हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भी नर्मदा व सोन नदी घाटी वाले जिलों में ज्यादा खतरा बताया है। इन जिलों में पिछले तीन वर्षों में 38 झटके दर्ज किए गए हैं। बढ़ता भूकंप देश के लिए एक नया खतरा बनकर उभर रहा है। अतः गंभीरता से ध्यान देकर ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए कि जानमाल की हानि कम-से-कम हो।