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जमरानी बांध: 48 साल पहले हुए शिलान्यास वाला प्रोजेक्ट धरातल पर उतरेगा, खर्च होंगे 3808 करोड़ रुपये

जमरानी बांध परियोजना को धरातल पर उतराने की दिशा में सिंचाई विभाग ने कवायद तेज कर दी है। कॉलोनी की मरम्मत और मार्ग की चौड़ाई बढ़ाने के कार्य के टेंडर हो गए हैं। जल्द निर्माण शुरू होने की उम्मीद है। परियोजना के उपमहाप्रबंधक ललित कुमार ने बताया कि जमरानी कॉलोनी के कार्य चार भागों में विभाजित किया गया है। सबसे पहले जमरानी कॉलोनी परिसर में आवासीय परिसरों का रखरखाव और नए आवासीय भवनों का निर्माण होगा। कॉलोनी परिसर की चहारदीवारी और मौजूदा कार्यालय भवन की मरम्मत की जाएगी। बांध विस्थापितों के लिए प्राग फार्म में 602 करोड़ से पुनर्स्थापन एवं पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। कहा कि 26 फरवरी 1976 में हुए शिलान्यास के बाद प्रथम चरण में गौला बैराज और जमरानी कॉलोनियों का निर्माण हुआ। अब बांध परियोजना के तहत इन कार्यों को पूरा किया जाएगा।

एतिहासिक पृष्ठभूमि-

26 फरवरी 1976 को जमरानी बांध का शिलान्यास तत्कालीन ऊर्जा मंत्री केसी पंत ने किया था। मेडिकल कॉलेज में कार्यरत परितोष पंत कहते हैं कि उनके पिता मोहन चंद्र पंत सत्तर के दशक में सिंचाई विभाग में अधिशासी अभियंता थे। जब जमरानी बांध योजना बनी तो अनुभव के चलते उन्हें नैनीताल जिले में भेजा गया। कहा कि इस योजना से परिवार का खास जुड़ाव रहा है। उम्मीद है कि लोगों का बांध का सपना जल्द साकार हो जाएगा।

कब क्या-

  • 1981 में गौला बैराज का निर्माण
  • 1989 में जमरानी बांध को केंद्रीय जल आयोग की टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी की फेज-2 की स्वीकृति मिली।
  • 2018 में अप्रैल में स्टेज वन की फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिली
  • 2018 में मई में उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के बीच योजना के लिए एमओयू हुआ
  • 2019 में फरवरी माह में टीएसी (सीडब्ल्यूसी) ने जमरानी बांध और डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क फेज 2 की क्लीयरेंस दी
  • 2019 में सितंबर में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरणीय स्वीकृति दी
  • 2019 में दिसंबर माह में नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की क्लीयरेंस मिली
  • 2023 में जनवरी में फॉरेस्ट स्टेज-2 क्लीयरेंस, मार्च में पीआईबी की मजूरी
  • 2023 अक्तूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने जमरानी योजना को मंजूरी दी।

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